endometriosis Treatment

  •  

एंडोमेट्रियोसिस (endometriosis kya hai)

आजकल एंडोमेट्रियोसिस की समस्या महिलाओं के लिए एक गंभीर समस्या बन चुकी है । इस  समस्या से हर 10 में से 2 महिलाएं प्रभावित है। इस समस्या के कारणों की बात की जाए तो लाइफ स्टाइल सबसे प्रमुख कारण माना जाता है। फ़ीमेल को एंडोमेट्रियोसिस से काफी प्रॉब्लम रहती है, जो महिला इनफर्निटी की समस्या से जूझ रही है, वह महिला अवश्य ही इस समस्या के बारे में कुछ ना कुछ जानकारी रखती ही होगी। जिन महिलाओं को इनफर्टिलिटी नहीं भी है वह भी इस समस्या से कुछ हद तक वाक़िफ़ होती है। महिलाओं को बच्चा पैदा होने के बाद भी इस समस्या का सामना करना पड़ सकता है। कभी-कभी ऐसे केश भी देखने को मिलते हैं कि जिन महिलाओं को एंडोमेट्रियोसिस था और उन्होंने गर्भधारण (conceive) कर लिया लेकिन  बाद में काफी बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ा।

चरक संहिता के अनुसार शरीर में कुल 20 प्रकार के योनि संबंधी विकार उत्पन्न होते है। जो की सीधे एंडोमिट्रिओसिस से संबद्ध रखते है। माधव निदानम के अनुसार योनी कांड एंडोमेट्रियोसिस से संबंधित है। क्योंकि योनी कांडा की नैदानिक विशेषता एंडोमेट्रियोसिस के ही समान है।

 

एंडोमिट्रिओसिस सिस्ट क्या है? (endometriosis cyst kya hai)

 एंडोमिट्रिओसीस के लक्षण क्या है – (endometriosis ke lakshan in hindi)

 एंडोमिट्रिओसिस के कारण – ( Endometriosis Ke Karan)

एन्‍डोमीट्रीओसिस की जाँच – (Endometriosis ki Janch)

एंडोमेट्रियोसिस के अन्य आयुर्वेदिक उपचार (endometriosis ka ayurvedic me ilaj)

 

 एंडोमिट्रिओसिस सिस्ट क्या है? (endometriosis cyst kya hai)

जब एंडोमिट्रियम उतकों(Endometriosis Tissues) का स्थानांतरण अंडाशय तक हो जाता है और वहां वह एक सिस्ट (पुटी) के रूप में गठित हो जाता है, तो इसे एंडोमेट्रियल सिस्ट कहते हैं। एंडोमेट्रियल सिस्ट प्रत्येक अंडाशय में हो सकती है। इस सिस्ट का आकार कम से कम 2 इंच से लेकर 8 इंच तक हो सकता है। इस तरह के सिस्ट से क्रॉनिक पेल्विक दर्द, निःसंतानता से संबंधित समस्या हो सकती है। इसके साथ ही अंडाशय और फैलोपियन ट्यूब में बाधा उत्पन्न होती है, जो की डिम्बग्रंथियों (Ovarianglands) में कैंसर का कारण बन सकती है।

 

 एंडोमिट्रिओसीस के लक्षण क्या है – (endometriosis ke lakshan in hindi)

अब जहाँ तक बात है एंडोमिट्रियंम के लक्षण की तो प्रत्येक महिला में अलग अलग हो सकते हैं । एंडोमेट्रियोसिस के लक्षण आरम्भ होकर माध्यम स्तर तक और फिर गंभीर स्तर तक हो सकते हैं। लक्षण की शुरुआत हल्के बुखार और श्रोणि दर्द(Pelvic pain) के रूप में दिखाई देते है। जो कि आगे चलकर इसकी तीव्रता को गंभीर स्थिति उत्पन्न कर सकते है। जिसमे तीव्र बुखार और तीव्र श्रोणि दर्द शामिल होता है। महिलाओ में जो लक्षण एंडोमेट्रियोसिस के नजर आते है। उनमें पेल्विक दर्द सबसे ज्यादा देखने को मिलता है। 

माहवारी के दौरान ब्लड वाली एंडोमेट्रियल कोशिकाएं फैलोपियन ट्यूब (fallopian tubes) से गुजर कर शरीर से बाहर जाने की वजह पेल्विक कैविटी(pelvic cavity) में चली जाती हैं तो यह endometrial कोशिकाएं pelvic की दीवारों से चिपक जाती हैं। जिससे अत्यधिक मात्रा में bleeding होती है । इस पूरी प्रक्रिया को प्रतिगामी माहवारी (retrograde menstruation)  कहते हैं। इसका दूसरा कारण होता है भ्रूण कोशिकाएं (embryonic cells) का परिवर्तन होना। सर्जिकल निशानों काजमाव भी इस तरह की परेशानी का कारण बनते हैं। एंडोमेट्रियल सेल ट्रांसपोर्ट (Endo material sale transport) इस तरह की परेशानी का कारण भी  बन सकते हैं।

शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली भी इसकी एक मुख्य वजह है। इसके कारण इस तरह की समस्याएं जन्म लेती हैं।

 

इसके अतिरिक्त एंडोमेट्रियोसिस के अन्य लक्षण – 

  1.  मासिक चक्र के दौरान अत्यधिक दर्द 
  2. पीरियड्स के दौरान पेट के निचले हिस्से में दर्द  
  3. मासिक धर्म के आसपास ऐंठन 
  4. भारी मासिक धर्म रक्तस्राव 
  5. पीठ के निचले भाग में दर्द 
  6.  भारी मासिक धर्म प्रवाह 
  7.    संभोग के दौरान दर्द  
  8. मल या मूत्र में रक्त 
  9.   थकान – मतली और उल्टी इत्यादि। 

 इसलिए सलाह ये दी जाती है कि नियमित रूप से स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लें। 

 

एंडोमिट्रिओसिस के कारण – ( Endometriosis Ke Karan)

आयुर्वेद के अनुसार कोई भी पुरानी बीमारी विषाक्त पदार्थों के संचय(Accumulation) का ही परिणाम है। एंडोमेट्रियोसिस में टॉक्सिन्स, प्रजनन ऊतक में जमा हो जाते हैं। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि शरीर के संचालन कारक (Operating factor) ‘त्रिदोषों” ’के असंतुलन के कारण रोग होते हैं। एंडोमेट्रियोसिस कफ समस्या है परंतु इस रोग की फैलने की प्रवृति के कारण यह समस्या पित्त तक पहुँच जाती है। एंडोमेट्रियोसिस का सही कारण ज्ञात नहीं है। हालांकि कुछ सिद्धांत हैं जो एंडोमेट्रियोसिस की व्याख्या करते हैं। मासिक चक्र के दौरान रक्त का विपरीत प्रवाह अर्थात फैलोपियन ट्यूब से होकर श्रोणि गुहा (Pelvic cavity) में एंडोमेट्रियोसिस का कारक हो सकता है। यहां पर एक अन्य सिद्धांत लसीका प्रणाली लागू होता है जोकि गर्भाशय की  एंडोमेट्रियल कोशिकाओं का परिवहन करता है। 

इसी तरह कई और सिद्धांत हैं लेकिन कोई भी वैज्ञानिक रूप से सिद्ध नहीं है। इसके कुछ संभावित कारण हो सकते हैं- 

  1. मासिक धर्म प्रवाह के साथ समस्या :- प्रतिगामी (Retrograde) मासिक धर्म प्रवाह एंडोमेट्रियोसिस का कारण हो सकता है। 
  2. आनुवंशिक कारक :-जो की वंशानुगत (genetic) हो सकते है।
  3. प्रतिरक्षा प्रणाली :- एक कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली गर्भाशय के बाहर बढ़ने वाले एंडोमेट्रियल ऊतक (Endometrial tissue) को काम करने में विफल हो सकती है।
  4. एस्ट्रोजन हार्मोन :- इसके ज्यादा या कम स्त्रावण (Secretion) एंडोमेट्रियोसिस की समस्या की संभावना को बढ़ाने का कारण हो सकता है । 
  5.  सर्जरी में जैसे सी-सेक्शन एंडोमेट्रियल टिश्यू पेट के धब्बो में पाए गए हैं। 

 

एंडोमिट्रिओसिस के प्रकार पेट के प्रभावित क्षेत्र के आधार पर 4 मुख्य प्रकार के एंडोमेट्रियोसिस हैं।

 

  1. एंडोमेट्रियोसिस :- इन्हें चॉकलेट सिस्ट भी कहा जाता है। यह पेट के विभिन्न हिस्सों में दिखाई देते है लेकिन आमतौर पर अंडाशय में पाये जाते हैं। 
  2.  सतही पेरिटोनियल एंडोमेट्रियोसिस(Superficial peritoneal endometriosis) :-  इसमें एंडोमेट्रियल ऊतक पेरिटोनियम से जुड़ जाते यह इसका सबसे कम गंभीर रूप है। 
  3. गहन रूप से स्थित होने वाले एंडोमेट्रियोसिस (Deep endometriosis) :- इसमें एंडोमेट्रियल ऊतक अंडाशय, मलाशय, मूत्राशय और आंत्र पर आक्रमण करते हैं। 
  4. पेट की दीवार पर एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis on the abdominal wall) :- इसमें एंडोमेट्रियल ऊतक पेट की दीवार पर बढ़ते हैं। 

 

एंडोमित्रयोसिस के चार चरण होते है।

 

  1.  न्यूनतम- अंडाशय पर छोटे घाव और उथले एंडोमेट्रियल प्रत्यारोप। श्रोणि क्षेत्र में या  उसके आसपास सूजन हो सकती है। 
  2. हल्के – इसमें एक अंडाशय और श्रोणि अस्तर पर हल्के या थोड़े गहरे घाव और उथले प्रत्यारोपण शामिल होते हैं। 
  3.  मॉडरेट (moderate) – इसमें एक या एक से अधिक घावों के साथ अंडाशय और श्रोणि अस्तर पर गहरे प्रत्यारोपण शामिल हैं।
  4. गंभीर (serious) – इसमें अंडाशय और श्रोणि अस्तर पर गहरे प्रत्यारोपण शामिल हैं। इस स्थिति में फैलोपियन ट्यूब और आंत्र पर घावों देखे जाते है।

 

एंडोमेट्रोसिस की जाँच में यदि आप ऊपर दिए गए एंडोमेट्रियोसिस के कोई  भी लक्षण दिखाई दे तो किसी अच्छे डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें।

 निदान के लिए निम्नलिखित एंडोमेट्रियोसिस परीक्षण किए जाते हैं। 

  1.  श्रोणि परीक्षा (Pelvic test) – यदि पुटी (सिस्ट) का आकार बड़ा है तो इसे श्रोणि परीक्षा के दौरान देखा जा सकता है।
  2. अल्ट्रासाउंड (Ultrasound) – इसका उपयोग एंडोमेट्रियोसिस से डिम्बग्रंथि अल्सर की जांच के लिए किया जाता है। 
  3. चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग (Magnetic resonance imaging) –  एक और सामान्य परीक्षण है जो आपके शरीर के अंदर की तस्वीर लेता है।
  4. लैप्रोस्कोपी (Laparoscopy)  – यह डॉक्टर को एंडोमेट्रियोसिस ऊतक को देखने में सक्षम बनाता है। 

 

घर पर एंडोमेट्रियोसिस टेस्ट आमतौर पर एक महिला को यह जानने में बहुत समय लगता है कि वह एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित है की नही? कुछ जगह अनुसंधान चल रहा है की इसका परीक्षण घर पर भी किया जा सके परंतु ये परीक्षण अभी व्यवहार में नहीं हैं। 

 

इस प्रकार एंडोमेट्रियोसिस परीक्षण के लिए डॉक्टर से मिलने की सिफारिश की जाती है। एंडोमेट्रियल टेस्ट पर खर्च बीमारी के निदान के लिए इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक पर निर्भर करती है। 

एंडोमिट्रिसिस का ऐलोपैथिक उपचार – एंडोमेट्रियोसिस उपचार में गर्भनिरोधक गोलियां, दर्द की दवा, हार्मोनल जन्म नियंत्रण और अन्य दवा का उपयोग शामिल है। इसका उपचार लैप्रोस्कोपिक सर्जरी के माध्यम से भी करने की कोशिश की जाती है परंतु यह उपचार कारगर नही है।

 

 एंडोमेट्रियोसिस का आयुर्वेदिक उपचार – (endometriosis ka ayurvedic me ilaj)

एंडोमेट्रियोसिस एक पुरानी बीमारी है जो खराब पोषण, अनुचित पाचन और उल्टी के कारण विषाक्त पदार्थों के संचय के परिणामस्वरूप होती है। इसलिए आयुर्वेदिक उपचार के अनुसार असंतुलन को ठीक करके तथा विषाक्त पदार्थों बाहर निकाल दिया जाता है। 

 

आयुर्वेद में शोधन थेरेपी एक detoxification उपचार है, जो की विषाक्त पदार्थों को समाप्त करती है और दोषों (doshas) को संतुलित करती है। इसलिए पाचन तंत्र को सही करने के साथ-साथ पंचकर्म का भी प्रबंध किया जाता है। पंचकर्म चिकित्सा अपान वायु को नियमित करती है, पित्त दोष को कम करती है और कफ दोष को संतुलित करती है। 

 

पाचक जड़ी-बूटियों की अच्छी मात्रा के साथ आसानी से पचने वाला पौष्टिक आहार को अपनी जीवनशैली में शामिल करना चाहिए । यह उपचार इसके निदान हेतु पहला कदम माना जाता है। 

 

 एंडोमेट्रियोसिस के अन्य आयुर्वेदिक उपचार (endometriosis ka ayurvedic me ilaj) – 

रोजाना आयुर्वेदिक तेल की मालिश अमा को ढीला करती है। रोग के पूर्णतः उन्मूलन हेतु पाचन तंत्र के लिए शरीर के विभिन्न हिस्सों से अमा एकत्र किया जाता है। यह तनाव को दूर करने में भी मदद करता है और मन को शांत करता है।

विरेचन (शुद्धिकरण) – इसमें एक विशेष प्रकार के काढ़े की मदद से शरीर से विषाक्त पदार्थों को समाप्त किया जाता है। 

बस्ती कर्म – मेडिकेटेड एनीमा किसी भी वात संबंधी विकार के लिए सबसे अच्छी चिकित्सा है। जो कि उत्तर बस्ती के द्वारा  विशाल एंडोमेट्रियल रिसेप्टर्स पर कार्य करता है। 

अभ्यंग- ब्लड वेसल्स में रक्त परिसंचरण को बढ़ाता है और लसीका परिसंचरण में सुधार करता है। 

स्वेदना- यह एक मेडिकेटेड स्टीम बाथ है। 

उद्वर्तन- यह लसीका प्रणाली से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है। 

पिडिचल – इस प्रक्रिया में गर्म हर्बल तेल धीरे-धीरे शरीर पर टपकाया जाता है। इस मालिश को करने का एक विशेष तरीका है। यह शरीर के ऊतकों की सफाई करने में मदद करता है। एंडोमेट्रियोसिस के लिए आयुर्वेदिक उपचार ने आशा जनक परिणाम दिखाए हैं। इसके साथ ही हमेशा एंडोमेट्रियोसिस के लिए कुशल और अनुभवी आयुर्वेदिक डॉक्टरों से परामर्श करने का सुझाव दिया जाता है।

 

एंडोमेट्रियोसिस प्राकृतिक उपचार / एंडोमेट्रियोसिस के लिए प्राकृतिक उपचार लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए कुछ घरेलू उपचार या प्राकृतिक उपचार हैं-

 

  1. हीट – गर्म पानी की बोतल या पेट के निचले हिस्से पर हीटिंग पैड रखने से श्रोणि की मांसपेशियों को आराम मिलता है और दर्द कम होता है। 
  2. पेल्विक मसाज- मेडिकेटेड हर्बल ऑयल से मसाज करने से एंडोमेट्रियोसिस से जुड़े पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द में कमी आती है। 
  3. हल्दी- इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो एंडोमेट्रियोसिस की वृद्धि को रोकने में मदद करता है। 
  4. आहार परिवर्तन – डेयरी उत्पाद, प्रोसेस्ड फूड, शक्कर, ग्लूटेन आदि समस्या ग्रस्त खाद्य पदार्थ हैं। ताजे फल और सब्जियों का ज्यादा से ज्यादा सेवन ही स्वास्थ्य में समग्र रूप से सुधार करता है।
  5. आयुर्वेद में लाल मांस (red meat)  के सेवन का पूर्णतः निषेध है।
  6. व्यायाम – हल्का वर्क आउट एक हार्मोन जारी करता है जो दर्द को कम करता है।
  7. ओमेगा- 3 फैटी एसिड सूजन को कम करता है। 
  8. एंडोमेट्रियोसिस के लिए आयुर्वेदिक दवाएं अधिकांश उपयोगी जड़ी-बूटियाँ और आयुर्वेदिक सूत्रीकरण- शतावरी, अशोका, लोध्रा, अर्जुन, दारुहरिद्रा, विदारीकंद, चन्द्रप्रभा वटी, अश्वगंधारिष्ट, त्रिफला चूर्ण, गोरक्षमुंडी, अघारक भस्म, कचनार गुग्गुलु, प्रदारंन लड्डू इत्यादि हैं।
  9.  

एंडोमेट्रियोसिस के बचाव – (endometriosis ke bachav)

  1. एंडोमेट्रियोसिस के बचाव ही इसके उपचार है,  क्योंकि यदि अपने अपने शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन (estrogen hormone) के स्तर को कम कर लिया तो आपको इस समस्या से काफी हद तक निजात पा सकते हैं।
  2.  शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन (estrogen hormone) कम करने के लिए आप शारीरिक व्यायाम का सहारा ले सकते हैं। यदि आप ऐसा करते हैं तो आपके शरीर में जमा वसा (fat) का स्तर कम होगा और आपको जल्द ही इस समस्या से छुटकारा मिल जाएगा।
  3. बहुत अधिक मात्रा में शराब का सेवन ना करें और यदि आप ऐसा करते हैं तो आपके शरीर में एस्ट्रोजन की मात्रा अधिक बढ़ जाती है। जिससे आपको इस तरह की बीमारियों का खतरा बढ़ने की संभावना अधिक हो जाती है।
  4. कैफीन युक्त पदार्थों के सेवन से भी बचें जैसे कि आप यदि ज्यादा मात्रा में चाय या फिर काफी का सेवन करते हैं तो ऐसे मामलों में भी आपके शरीर में एस्ट्रोजन की मात्रा का स्तर अधिक बढ़ जाता है। जिससे आपके अंदर एंडोमेट्रियोसिस की बीमारियां पैदा होने की पूर्ण संभावनाएं बन जाती हैं।

 

कैसे पता करें कि आप एंडोमेट्रियोसिस बीमारी से जूझ रहे हैं ?

  1. यह पता करने के लिए आपको सबसे पहले अपनी पेल्विक जांच या पेल्विक का टेस्ट कराना चाहिए। जिससे आपको पता चल जाएगा कि आपको एंडोमेट्रियोसिस है या नहीं।
  2. अल्ट्रासाउंड या  इमेजन टेस्ट इसके द्वारा आपको पता चल जाएगा कि आप के प्रजनन अंगों में कोई बीमारी है या नहीं।
  3. लेप्रोस्कोपी यह भी एक प्रकार का टेस्ट है जिसके द्वारा यह पता लगाया जा सकता है और इससे यह जानकारी स्पष्ट हो जाती है कि आपको एंडोमेट्रियोसिस है या नहीं।

 

एंडोमेट्रियोसिस के आयुर्वेदिक उपचार में आयुर्वेदिक दवाएं और आयुर्वेदिक उपचार शामिल हैं। बेहतर परिणाम पाने के लिए आहार और जीवनशैली में बदलाव आवश्यक है। एक उचित आहार दवाओं के प्रभाव को बढ़ाता है। 

एंडोमेट्रियोसिस के उपचार हेतु दिल्ली में स्थित आशा आयुर्वेद केंद्र को सबसे विश्वसनीय एंडोमेट्रियोसिस निदान केन्द्र माना माना जाता है।

Recent Blog Posts

Frequently Asked Questions​

Ayurvedic approach is the best for endometriosis treatment. Ayurvedic herbal treatment reduces the pain, unblocks the channels, reduces the endometrial tissues outside the uterus and reduces inflammation. The treatment aims to eliminate the root cause of the condition. Panchakarma treatments are safe and effective in endometriosis. 1)Vamana or purgation with herbal medicine eliminates the toxins out of the body. 2)Abhyanga/snehana or massage – it enhances the lymphatic and blood circulation. 3)Swedana – it is a medicated steam bath. 4)Pizchil –it involves slow dripping of warm medicated oil on the body while doing massage. 5)Udvartana – the therapy eliminates the toxins from the lymphatic system. 6)Vasti chikitsa – it is the best therapy for pacifying vata dosha and the medicated enema is chosen as per the dosha. The method involves administration of medicated oil/ghee through the urethra, rectum and vaginal route. Uttara basti is the term used when the basti therapy is given through uterine and vaginal route. It is the best treatment for gynecological disorders especially in endometriosis-associated infertility.

The four stages of endometriosis are – 1) Minimal – the lesions are small and there are endometrial implants on your ovary. The around the pelvic cavity is inflamed. 2) Mild – the lesions are light and shallow implants are found on the ovary and the pelvic lining. 3) Moderate – it involves deep implants on the ovary and pelvic lining. 4) Severe – there are deep implants on the ovary and pelvic lining. The lesions may appear on the fallopian tubes and bowels.

Endometriosis can be diagnosed through pelvic examination, ultrasound, magnetic resonance imaging and laparoscopy.

The endometriosis test cost depends upon the diagnostic method used by your doctor.