अधिक उम्र में क्यों होती है गर्भधारण करने में समस्या यह एक जैविक तथ्य है कि जैसे-जैसे महिलाओं और पुरुषों की उम्र बढ़ती है, उनके बच्चे पैदा करने की क्षमता कम होती जाती है, हालांकि ऐसा होने का सही समय व्यक्तियों के बीच भिन्न हो सकता है। प्रत्येक महिला के पूरे जीवन काल में निश्चित अंडो की संख्य होती है। जो उम्र के साथ कम होती चली जाती है। जब महिला 35 वर्ष की उम्र को पूर्ण कर लेती है तो अंडो में कमी हो जाती है। ऐसे में गर्धधारण करने में परेशानी होने लगती है। जैसे-जैसे वह अपने अंडों…
मोटापा एक वैश्विक स्वास्थ्य समस्या है, जिसकी वजह से पुरुषों की प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है। प्रजनन आयु के पुरुषों में मोटापा पिछले कुछ वर्षों में तेजी के साथ बढ़ा है और इसी कारण से दुनिया पुरुष इनफर्टिलिटी का शिकार हो रहे है। अब इस बात के उभरते प्रमाण हैं कि मोटापा पुरुष न केवल प्रजनन क्षमता पर बल्कि शुक्राणु की गुणवत्ता को भी कम करता है । इसके अवाला यह विशेष रूप से वृषण और अंततः परिपक्व शुक्राणु (testes and eventually mature sperm) में रोगाणु कोशिकाओं (germ cells) की भौतिक और आणविक संरचना (molecular structure) को बदल देता है। …
BICORNUATE UTERUS (बाइकॉर्नुएट यूटेरस) क्या होता है और क्या इसमें pregnancy संभव हो सकती है ? बाइकॉर्नुएट यूट्रस बच्चेदानी की जन्मजात एक प्रकार की विकृति है। अर्थात कुछ महिलाओं में बर्थ से ही गर्भाशय का आकार सामान्य होने की वजह विलक्षण (abnormal) होता है। जब किसी महिला का गर्भाशय दिल के आकार (heart shape) जैसा होता है तो उसे BICORNUATE UTERUS के नाम से जानते है। आंकड़ो की बात करें तो लगभग 3 प्रतिशत महिलाओं को बच्चेदानी के आकार में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। 100 में से 3 ऐसी महिलाएं होती है जिनमें गर्भशाय का आकार असामान्य होता…
डॉ चंचल शर्मा से जानिए PCOS / PCOD को आयुर्वेदिक उपचार से कैसे ठीक करें आशा आयुर्वेदा की निःसंतानता विशेषज्ञ डॉ चंचल शर्मा कहती है कि आज के समय में महिलाओं एवं युवतियों की जीवनशैलीऔर और खानपान बहुत ज्यादा प्रभावित हो चुका है। जिसके कारण उनके शरीर के हार्मोन इम्बैलेंस होने लगे है। हार्मोन असंतुलन हो जाने के कारण पीसीओडी जैसी बीमारी होना एक आम बात हो चुकी है। कुछ समय पहले पीसीओडी की समस्या अधिक उम्र अर्थात जिन महिलाओं की उम्र 35 से 40 वर्ष के बीच होती है उनमें देखने को मिलती थी परंतु अब तो यह है…
वर्तमान समय का खानपान और लाइफ स्टाइल इनता अधिक अनियमति हो चुका है, जिसके चलते महिला एवं पुरुषों की प्रजनन क्षमता कमजोरी होती चली जा रही है। प्रजनन क्षमता के साथ-साथ महिला एवं पुरुषों की कामेच्छा में लगातार गिरावट देखी जा रही है। जिससे आज के समय में एक बड़ी संख्या मातृत्व एवं पितृत्व के सुख से दूर होती जा रही है। आज हम यहां पर बिना ऑपरेशन के माँ बनने के लिए एक खास थेरेपी के बारें में बताएंगे । जो आपकी माँ बनने में मदद करेगी। आज के समय में युवा वर्ग शादी के बाद संतान की चाहत…
बच्चे जीवन का अर्थ और आनंद हैं। कई जोड़ों को शादी के बाद समय पर बच्चे न होने की चिंता रहती है। समय पर सही इलाज से आज ज्यादातर बांझपन की समस्या को ठीक किया जा सकता है। जीवनशैली और नजरिए में बदलाव के कारण बांझपन का इलाज तेजी से महत्वपूर्ण होता जा रहा है। बांझपन (निःसंतानता) की समस्या आज के समय में एक सामान्य समस्या बनती जा रही है। गांवों की तुलना में शहरों यह समस्या बड़ी ही तेजी के साथ पैर पसार रही है। ऐसे में यह सबसे बड़ा प्रशन उठता है कि कैसे इस समस्या पर काबू…
स्वस्थ महिलाओं में, फैलोपियन ट्यूब अंडाशय से गर्भाशय तक परिपक्व अंडाशय होते हैं। गर्भवती होने के लिए एक महिला को इनमें से कम से कम एक ट्यूब का खुला होना जरूरी है। जब रुकावट होती है, तो शुक्राणु और अंडे फैलोपियन ट्यूब में नहीं पाए जा सकते हैं, जहां आमतौर पर निषेचन होता है। 40% बांझ महिलाओं में फैलोपियन ट्यूब की रुकावट एक समस्या है, इसलिए उनकी पहचान करना और उनका प्रभावी ढंग से इलाज करना बहुत महत्वपूर्ण है। संतान न होने के बहुत सारे कारण होते है। उन्हीं में एक प्रमुख कारण है फैलोपियन ट्यूब का बंद होना ।…
बांझपन एक प्रमुख स्वास्थ्य समस्या है जिसका सामना अधिकांश जोड़े दैनिक जीवन शैली और आहार परिवर्तन के कारण करते हैं। चिकित्सा में बहुत प्रगति के बावजूद, वास्तविकता यह है कि बहुत से लोग बांझपन का सही कारण नहीं जानते हैं। महिलाओं और पुरुषों में बांझपन अलग-अलग कारणों से होता है। कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि कैफीन के लंबे समय तक सेवन से गर्भधारण में देरी हो सकती है, लेकिन अन्य इस मामले पर पूरी तरह से अलग हैं। कॉफी का बहुत ज्यादा सेवन आपके प्रजनन स्वास्थ्य को बहुत प्रभावित कर सकता है। पुरुषों में, यह आपके शुक्राणु की…
महिलाओं में पीरियड्स की समस्या आजकल लगभग आम हो गई है। जब लड़की 13 से 14 साल की होती है। तब से ही पीरियड्स आना शुरू हो जाते हैं। पीरियड्स की अवधि 21 से 35 दिनों के भीतर होती है। अगर मासिक धर्म 21 दिन से पहले या 35 दिन बाद आता है। तो इसे अनियमित माहवारी कहते हैं। महिलाओं को साल में 11 से 13 बार पीरियड्स होने चाहिए जो एक सामान्य प्रक्रिया है। कई महिलाओं को साल में सिर्फ 6 से 7 बार ही पीरियड्स आते हैं। महिलाओं को महामारी की समस्या है। जिन महिलाओं को पीरियड्स की…