एक्‍यूप्रेशर थेरेपी 

वर्तमान समय का खानपान और लाइफ स्टाइल इनता अधिक अनियमति हो चुका है, जिसके चलते महिला एवं पुरुषों की प्रजनन क्षमता कमजोरी होती चली जा रही है। प्रजनन क्षमता के साथ-साथ महिला एवं पुरुषों की कामेच्छा में लगातार गिरावट देखी जा रही है। जिससे आज के समय में एक बड़ी संख्या मातृत्व एवं पितृत्व के सुख से दूर होती जा रही है। आज हम यहां पर बिना ऑपरेशन के माँ बनने के लिए एक खास थेरेपी के बारें में बताएंगे । जो आपकी माँ बनने में मदद करेगी। 

आज के समय में युवा वर्ग शादी के बाद संतान की चाहत में न जानें कितनी गोली दवाइयां खाने लगते है। परंतु रिजल्ट नही मिलने पर परेशान होने लगते है। अंग्रेजी मेडीसीनस की वजह से ठीक होने के वजह हार्मोन का संतुलन खराब हो जाता है। जिससे शरीर मेंं बहुत प्रकार के साइड इफैक्ट दिखाई देने लगते है। 

अंग्रेजी दवाओं (एलौपैथी) के सेवन से संभोग की इच्छा में कमी आने लगती है और कई प्रकार के दोष होने की संभावना बनने लगती है। ऐसे में सोई हुई यौन शक्ति का जागृत करने के लिए एक्‍यूप्रेशर थैरेपी एक अच्छा विकल्प है। जिसे अपनाकर आप माँ बनने का सुख आसानी से प्राप्त कर सकती है। 

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ऐसे में एक्‍यूप्रेशर थैरेपी  थेरेपी माँ बनने में रामबाण इलाज शाबित हो सकती है – 

एक्‍यूप्रेशर थैरेपी एक ऐसी थेरेपी है जिसके माध्यम से आप अपने बिगड़े हुए हार्मोन संतुलन को ठीक कर सकती है। इस थेरेपी के द्वारा कामेच्छा में वृद्धि देखने को मिलती है। एक्‍यूप्रेशर थैरेपी के अनुसार शरीर के के ऐसे दो स्थान होते जहां पर प्रेशर देने से नसों की ब्लॉकेज खुल जाती है । और रक्त का संचरण अच्छी प्रकार से होने लगते है । 

  1. किडनी प्वाइंट – महिला एवं पुरुषों की प्रजनन क्षमता बढ़ाने तथा हार्मोन में संतुलन स्थापित करने के लिए  एक्‍यूप्रेशर प्‍वाइंट के लिए किडनी एक बेहद महत्‍वपूर्ण अंग हैं। जब कोई थेरेपी विशेषज्ञ किडनी के प्वाइंट का दबाता है , तो कामेच्छा में सुधार होता है। प्रजनन क्षमता को बढ़ाने के लिए एकल बोन प्रेस करना पड़ता है। यह अंगुलियों के माध्यम से प्रेस किया जाता है, जिससे एचिल्स टेंडन पर दबाव पडता है और लिबिडो हार्मोन सक्रीय होने लगता है। 
  1. स्टोमक प्वाइंट – पेट के ऊपर प्रजनन क्षमता को बढ़ाने वाला प्वाइंट होता है। एक्‍यूप्रेशर थैरेपी के अनुसार  जब नाभि को 4-5 मिनट तक हल्के प्रेशर के साथ दबाया जाता है। तो प्रजनन क्षमता में सुधार होता है । यह थेरेपी दिन में एक बार या फिर दो बार करवा सकती है। 

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गर्भधारण करने के लिए एक्यूप्रेशर चिकित्सा – 

क्यूप्रेशर चिकित्सा गर्भधारने करने में मददगार शाबित हो सकती है । गर्भाधान से पहले तीन से चार महीने तक मरीजों का इलाज एक्यूप्रेशर चिकित्सा किया जाता है। और इसके परिणाम काफी अच्छे दिखने को मिले है। 

शोध से पता चला है कि एक्यूपंक्चर अंडे और भ्रूण दोनों की गुणवत्ता में सुधार कर सकता है, जिससे सफल गर्भावस्था की संभावना बेहतर होती है। एक अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने उन महिलाओं पर एक्यूपंक्चर के प्रभावों पर ध्यान केंद्रित किया, जिन्हें पहले बांझपन का निदान किया गया था।

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