गिलोय के फायदे और नुकसान

गिलोय के औषधीय गुण, फायदे और नुकसान : Giloy Ayurvedic Uses, Benefits And Side Effects In Hindi

सेहतमंद और स्वस्थ रहने के लिए इम्यून सिस्टम का स्ट्रोंग होना बहुत आवश्यक होता है। कोरोना के समय में लोगों ने अपने लिवर को स्वस्थ रखने के लिए तुलसी, आंवला, अदरक, हल्की और गिलोय को अपनाकर अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया है। गिलोय लिवर के लिए बहुत ही प्रभावी औषधि है। परंतु इन सभी देशी एवं आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रयोग तय मात्रा के अनुसार ही करना चाहिए । अन्यथा यह दुष्पभावी भी हो सकते है और आपके लिवर को खराब कर सकते है। 

भारत में हर 5 में से 1 व्यक्ति लिवर की समस्या से परेशान है। लिवर हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है। पाचन क्रिया में लिवर की अपनी विशेष भूमिका होती है। आपका लिवर जीतना अच्छा होता उतनी अच्छी ही आपकी पाचन क्रिया होगी। लिवर का खराब होना वर्तमान की बहुत बड़ी समस्या है। लिवर में फैट जमा होने की समस्या ऐसे व्यक्तियों में 60 प्रतिशत ज्यादा होती है। जो मोटापा, डायबिटीज, ब्लड में कोलेस्ट्रॉल की समस्या से ग्रसित होते है। 

आयुर्वेद शास्त्र में गिलोय को अमृत के सामान माना गया है। क्योंकि आयुर्वेद का मत है कि अमृत लेने के पश्चात इंसान बहुत वर्षों तक जीवित रहता है। उसी प्रकार आयुर्वेदिक औषधि गिलोय के सेवन से स्वास्थ्य निरोगी रहता है। लिवर से जुड़ी समस्याओं से निजात पाने में गिलोय रामबाण औषधि है। 

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आज से हजारों वर्षों पूर्व गिलोय औषधि का सेवन बुखार, सर्दी जुकाम, खांसी एवं गले से संबंधित रोगों को ठीक करने के लिए किया जाता रहा है। आज भी गिलोय की लोकप्रियता कम नही हुई है। क्योंकि कोरोना काल में गिलोय का सेवन हर किसी ने अपनी इम्यूनिटी को स्ट्रोंग करने के लिए किया है। अब आयुर्वेदिक चिकित्सकों के अनुसार इम्युनिटी को बूस्ट करने के लिए लोग गिलोय के काढ़े से लेकर जूस और गोलियों तक का सेवन बड़ी संख्या में कर रहे हैं। गिलोय का तना स्टार्च से भरा रहता है। जिससे रोगों से लड़ने में हमारी मदद करता है और बीमारियों से रक्षा करता है। 

आयुर्वेद में कहा गया है। कि गिलोय एक प्रकार की बेल है। जो पान के पत्तों की तरह दिखाई देता है। गिलोग में कैल्शियम, प्रोटीन, फॉस्फोरस पर्याप्त मात्रा में होता है। जो शरीर की रोग प्रतिरोधकता में वृद्धि करता है। आयुर्वेद में लिवर को स्वस्थ रखने के लिए गिलोय का सुझाव दिया जाता है। जो डैमेज लिवर को ठीक करने में मदद करता है।

लिवर खराब होने के कारण – 

लिवर के डैमेज के लिए एक नही बल्कि कई कारण जिम्मेदार है। जो लिवर को खराब करते हैं। 

  1. शराब  एवं धूम्रपान का अधिक सेवन लिवर को फैटी और डैमेज कर देता है। 
  2. अधिक दवाओं से सेवन से लिवर प्रभावित हो जाता है। 
  3. अनियंत्रित जीवन शैली लिवर खऱाब कर देती है। 
  4. वायरस संक्रमण जैसे हेपेटाइटिस सी भी लिवर को खऱाब कर देती है। 

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गिलोय के अन्य औषधीय गुण – 

गिलोय औषधीय गुणों का खजाना है। इसमें बहुत ज्यादा मात्रा में आयुर्वेदिक औषधि गुण पाए जाते है। जो इसे अमृत के समान बनाते हैं। 

1. बीमारियों से लड़ने में रक्षा करता है – गिलोय ऐसी हर्बल जड़ी बूटी है जो वायरस से होने वाली बीमारियों से शरीर को सुरक्षित रखता है। गिलोय की तासीर गर्म होती है। जिससे यह सर्दी, खांसी-जुकाम से बचाता है। मौसम में बदलाव से कारण होने वाले फ्लू से भी शरीर के इम्युन सिस्टम को मजबूत करता है।

2. गिलोय ब्लड प्लेटलेट्स में वृद्धि करता है – जब आप डेंगू या फिर चिकनगुनिया से संक्रमित हो जाते हैं। तो आपके शरीर की प्लेट्स तेजी के साथ गिरने लगती है। ऐसे में आयुर्वेदिक विशेषज्ञ मरीज को गिलोय सेवन की सलाह देते है। गिलोय के सेवन से प्लेट्स तेजी के साथ बढ़ने लगती है और मरीज को डेंगू में आराम मिलता है। गिलोय में एंटीपायरेटिक गुण होते हैं। जो डेंगू के मरीजों के लिए बहुत लाभाकरी होते है। और इम्युनिटी में वृद्धि करते है जिससे मरीज जल्दी रिकवर होते हैं।

3. गिलाेय पीलिया ( जॉन्डिस) में फायदेंमंद – गिलोय के सेवन न केवल सर्दी, खांसी-जुकाम ठीक होते हैं। बल्कि यह पीलिया में बहुत ही असरकारी ओषधि साबित हुई है। पीलिया के मरीजों के लिए गिलोय रामबाण दवा के रुप में काम करती है। आयुर्वेदिक विशेषज्ञ पीलिया के मरीजों को गिलोय के पत्तों का रस पीने के सलाह देते है। जिससे पीलिया से पीडित मरीजों को आराम मिलता है। गिलोय से बुखार के दर्द से राहत मिलती है। 

4. पाचन तंत्र का रखता है दुरुस्त – आज हर कोई पेट की समस्या से परेशान हैं। तो ऐसे में गिलोय उन लोगों के लिए फायदेमंद हो सकता है। गिलोय सेवन से कब्ज और पेट से जुड़ी सभी परेशानियों से राहत मिलती है। 

5. एनीमिया में राहत – एनीमिया से ग्रसित लोगों में गिलोय लाभकारी दवा के रुप में काम करती है। जो लोग खून की कमी की समस्या का सामना कर रहें है उन्हें भी गिलोय सेवन की सलाह दी जाती है। गिलोय के अंदर ग्लूकोसाइड, पामेरिन, टीनोस्पोरिक एसिड पर्याप्त मात्रा में पाये जाते है। जो शरीर में खून की मात्रा का बनाए रखने में सहायक होते है।

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कब गिलोय का सेवन नुकसान दायक हो सकता ?

हर औषधि के दो पहलु होते है। इसमें कोई दो राय नही है। गिलोय लाभकारी है इसमें कोई शक नही परंतु इसकी सही मात्रा का सेवन और चिकित्सक की उचित सलाह बहुत ही जरुरी है। अन्यथा यह अपना दुष्प्रभाव भी दिखा सकती है। आयुर्वेद के अनुसार कुछ विशेष परिस्थितियों में इसके सेवन पर मनाही होती है। गिलोय की तासीर गर्म होती है।

इसलिए गर्भवती महिलाओं, 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, कम ब्लड लेवल वाले व्यक्तियों को इसका सेवन नही करना चाहिए। क्योंकि गिलोय ब्लड सुगर लेवल को कम कर सकता है। ऐसे व्यक्ति भी इसका सेवन न करें जिनकी पाचन शक्ति बहुत ही कमजोर है । 

गिलोय की कितनी मात्रा का सेवन करना उचित है ?

गिलाोय की मात्रा के निर्धारण व्यक्तियों के उम्र के आधार पर निर्धारित होता है। कुछ स्वास्थ्य परिस्थितियां भी हैं जहां पर गिलोय के सेवन पर पाबंदी होती है। इसके सही मात्रा के सेवन की जानकारी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही करना चाहिए । ताकि आपको बीमारी में जल्द से जल्द राहत मिल सके। 

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यह खास जानकारी आशा आयुर्वेदा की आयुर्वेदिक विशेषज्ञ डॉ चंचल शर्मा से विशेष वार्ता के दौरान प्राप्त हुई है। 

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