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रजोनिवृति (मीनोपॉज) का आयुर्वेदिक उपचार – Menopause Ayurvedic Treatment in Hindi

आयुर्वेद में, मीनोपॉज (menopause) को “रजोनिवृति” के रूप में जाना जाता है, जिसका शाब्दिक अर्थ है अर्तवा प्रवृत्ति का अंत या अर्तवा वेदना अर्थात मासिक धर्म का रुक जाना।

Menopause Ayurvedic Treatment – चरक संहिता, सुश्रुत संहिता और कई अन्य प्रसिद्ध आयुर्वेदिक शास्त्रों के अनुसार, रजोनिवृत्ति की शुरुआत तब होती है जब मासिक धर्म महिलाओं में लगातार 12 महीनों तक रुकता है और इसके बाद नहीं होता है। रजोनिव्रती को वात दोष की वृद्धि की विशेषता है, जिससे तीनों दोषों- वात, पित्त और कफ में असंतुलन हो जाता है। परिणामस्वरूप “धतु क्षय” या शरीर के ऊतक द्रव्यमान में गिरावट, उम्र बढ़ने का क्रमिक परिणाम होता है।

रजोनिवृत्ति Menopause कई दर्दनाक लक्षणों को जन्म देती है जिसमें गर्म चमक (hot flashes), वजन बढ़ना, कम चयापचय (owered metabolism) और हृदय गतिविधि, यौन ड्राइव या कामेच्छा की हानि, योनि में सूखापन, हड्डी और संयुक्त दर्द, मूत्र असंयम और रात में पसीना इत्यादि परेशानी होती है।  इसके अलावा, प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन सहित महिला प्रजनन हार्मोन के स्तर में उतार-चढ़ाव के कारण, मानसिक कार्य भी प्रभावित होते हैं, जो महिलाओं के स्वभाव,मिज़ाज, अवसाद, थकान, चिंता और अनिद्रा जैसी समस्या पैदा करते हैं।

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 मीनोपॉज के लक्षण – Menopause Symptoms in hindi

मीनोपॉज की अवस्था आते ही महिलाओं को उनके शरीर पर कुछ संकेत मिलने लगते है। इन संकेतों से मीनोपॉज के लक्षणों के बारें में पता चल जाता है। मीनोपॉज के लक्षण महिलाओं का 40 से 50 की उम्र के आपपास दिखाई देने शुरु हो जाते है। मीनोपॉज आते ही कुछ महिलाओं को भूलने जैसी समस्या भी होने लगती है। यह बात शोधों के आधार पर निकल कर सामने आई है। 

  1. मीनोपॉज का प्रमुख कारण है कि महिलाओं के पूरे शरीर में गर्माहट महसूस होने लगती है। 
  2. महिलाओं की वेजाइना में सूखापन आने लगता है। 
  3. महिलाओं को संबंध बनाते समय दर्द का अनुभव भी होता है। 
  4. यूरिनरी में संक्रमण होने का डर रहता है। 
  5. बार-बार पेशाब की समस्या होने लगती है।
  6. तनाव, नींद न आना, बालों का झड़ना, त्वचा संबंधी विकार इत्यादि समस्याएं होने लगती है।  

मीनोपॉज के कारण – Menopause Cause in hindi

महिलाओं में मीनोपॉज आने के कई कारण हो सकते है। हार्मोन परिवर्तन तथा खराब जीवनशैली के कारण आज कल महिलाओं में जल्दी मीनोपॉज आने लगे है जिसके कई कारण है। 

  1. महिलाओं की उम्र बढ़ने के साथ-साथ फॉलिकल्स बनना बंद हो जाते है जिसके कारण मीनोपॉज आ जाते है।
  2. अनियमित खानपान। 
  3. खराब लाइफस्टाइल। 
  4. तनाव। 
  5. संक्रमण। 

मीनोपॉज को दूर करने के प्राकृतिक उपचार – Menopause Natural Treatment in Hindi

Menopause Ayurvedic Treatment मीनोपॉज कोई बीमारी नही है यह उम्र के साथ होने वाली एक अवस्था है जिसके दौरान महिलाओं को कई परेशानियां का सामना करना पड़ता है। मीनोपॉज में होने वाली परेशानियों को कम करने के लिए कुछ आयुर्वेदिक दवाएँ है जिसके सेवन से मीनोपॉज से होने वाली दिक़्क़तों को कम किया जाता है। पंचकर्म के द्वारा मीनोपॉज को समस्या से काफी हद तक निजात पाई जाती है। मीनोपॉज कोई बीमारी नही है यह तो सभी महिलाएं जानती है परंतु आयुर्वेदिक चिकित्सा तथा उपायों के द्वारा इसको मीनोपॉज को कम किया जाता है। आयुर्वेद की पंचकर्म थेरेपी जैसे वमन, विरेचन, नास्यम, उत्तर बस्ती तथा रक्तमोक्षण के द्वारा मीनोपॉज के लक्षणों से निजात पाई जाती है। 

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मीनोपॉज की आयुर्वेदिक दवा – Ayurvedic Medicine of Menopause

अर्जुन की छाल – रजोनिवृत्ति के दौरान महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन के स्तर में कमी होने से कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करना एक चुनौती बन जाता है। अर्जुन की छाल एक जड़ी बूटी है जो हृदय की क्षमता बढ़ाने के लिए है बहुत अच्छी होती है। अर्जुन की छाल से महिलाओं को सामान्य रक्तचाप और हृदय संबंधी बीमारियों को रोकने में मदद मिलती है।

इलायची – रजोनिवृत्ति के दौरान महिला प्रजनन हार्मोन के स्तर में अचानक से  गिरावट आने लगती है, जिससे तंत्रिका तंत्र का संचालन नकारात्मक रूप से प्रभावित होने लगता है। इलायची एक खाद्य पदार्थ है जो एक अद्भुत मनोदशा बढ़ाने का काम करता है। इलायची सुखदायक होता है और साथ ही मानसिक गतिविधियों, मस्तिष्क कार्यों, स्मृति और एकाग्रता को बढ़ाने में सहायक होता है।

 सौंफ रजोनिवृत्ति के समय वात दोष में तीव्र वृद्धि से पित्त और कफ दोषों में असंतुलन होता है, साथ ही शरीर तेजी से गर्म होता है और इसके परिणामस्वरूप गर्म चमक पैदा होती है। सौंफ़ के बीज एक प्राकृतिक वात को कम करने वाला खाद्य पदार्थ है और इसमें एक आंतरिक शीतलन गुण होता है, जो पसीने और शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में मदद करता है।

गुग्गुल (Guggul) – रजोनिवृत्ति के दौरान हार्मोनल स्तर व्यापक रूप से भिन्न होता है, इसलिए शरीर के वजन में बदलाव भी होता है। शक्तिशाली गुग्गुल जड़ी बूटी से निकाली गई गोंद रजोनिवृत्ति से गुजर रही महिलाओं के लिए एक उल्लेखनीय चिकित्सीय औषधि है।

लहसुन – धातु क्षय यानी ऊतक द्रव्यमान की हानि और एस्ट्रोजन के स्तर में कमी के कारण, रजोनिवृत्ति के दौरान महिलाओं में हड्डियों, मांसपेशियों और जोड़े कमजोर होने लगते है।  जिससे गठिया, ऑस्टियोपोरोसिस और अन्य दुर्बलता संयुक्त बीमारियों के जोखिम का खतरा बढ़ जाता है। लहसुन अपने शक्तिशाली प्रतिरक्षा शाक्ति से हड्डियों, जोड़ों को मजबूत करता है और मांसपेशियों की ताकत में सुधार करता है।

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