HSG Test, हिस्टेरोसाल्पिंगोग्राफी, Hysterosalpingography

एचएसजी टेस्ट की पूरी जानकारी – HSG (Hysterosalpingography) Test in Hindi

HSG टेस्ट का पूरा नाम हिस्टेरोसाल्पिंगोग्राफी (Hysterosalpingography) है। किसी घर परिवार में नवजात शिशु के जन्म को सबसे बड़ी खुशियों में से एक होता है। जब कोई महिला या पुरुष पहली बार मातृत्व व पितृत्व सुख का प्राप्त करते है। तो वह एक अलग ही अहसास का अनुभव करते हैं। परंतु सब कुछ ठीक होने के बाद भी कई बार आपको कंसीव करने में दिक्कत  होती है। ऐसे में फिर आपको डॉक्टर HSG टेस्ट की सलाह देते है। जिससे पता चल जाता है। कि आपको किस वजह से इनफर्टिलिटी (infertility) की समस्या है। 

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HSG (Hysterosalpingography ) टेस्ट क्या है ? – HSG Test kya Hai

बोल चाल की भाषा में HSG का सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाता है। हिस्टेरोसाल्पिंगोग्राफी एक ऐसा परिक्षण है। जिसमें महिला के गर्भाशय एवं पेल्विक एरिया से जुड़ी जानकारी प्रदान करता है। हिस्टेरोसाल्पिंगोग्राफी टेस्ट की मदद से महिला के गर्भाशय की जांच एक्स-रे का प्रयोग करके की जाती है।

इस जांच में फैलोपियन ट्यूब को बिल्कुल स्पष्ट रुप से देखा जाता है। इस टेस्ट से यह भी पता चल जाता है। कि ट्यूब में किसी प्रकार की रुकावट या संक्रमण। हिस्टेरोसाल्पिंगोग्राफी टेस्ट को पूरा होने में 10 मिनट का समय लग जाता है। क्योंकि एक्स-रे लेने के दौरान सर्विक्स के द्वारा यूट्रस में आयोडीन डाली जाती है। इस टेस्ट में चिंता जैसी कोई परेशानी नही होती है। 

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क्या आप HSG टेस्ट के बाद गर्भवती हो सकती हो ?

HSG टेस्ट में मुख्य रुप से महिलाओं के गर्भाशय में आयोडीन की डाई को सर्विक्स के द्वारा इंजेक्ट किया जाता है। इसके बाद कैमरे के द्वारा डॉक्टर गर्भाशय की तस्वीर लेते है। जब यह डाई फैलोपियन ट्यूब तक पहुंचती है। तो डॉक्टर साफतौर पर देख पाते है। कि ट्यूब खुली है या फिर बंद है। इन एक्स-रे के माध्यम से डॉक्टरों को इनफर्टिलिटी की वजह के कारण प्राप्त हो जाते हैं। यदि ट्यूब में किसी प्रकार का डैमेज या फिर रुकावट होती है। तो इसके आधार पर भी इनफर्टिलिटी का पता लगाया जाता है। और फिर उसका उपचार दिया जाता है। 

डॉक्टरों का HSG टेस्ट कराने का मुख्य उद्देश्य होता है । कि वह इनफर्टिलिटी की समस्या को ठीक से समझ सकें और उसी समस्या के अनुरुप ही पेशेंट का इलाज दे सकें। 

यह बात सच है। कि HSG टेस्ट करवाने से ही माँ न बनने वाली महिलाओं में नेचुरल तरीके से गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है। HSG टेस्ट से जुड़े जानकार औ डॉक्टर भी बताते हैं। कि इस HSG Test के प्रेगनेंसी रेट में लगभग 2-3 गुना वृद्धि देखने को मिलती है। परंतु यह टेस्ट निःसंतानता का उपचार नही हैं। यह केवल निःसंतानता के कारणों को समझने के लिए किया जाता है। 

HSG टेस्ट के दौरान जिस डाई का प्रयोग किया जाता है तो क्या वह अंडों व भ्रूण को प्रभावित कर सकती है ?

प्रेगनेंसी के समय यदि यह HSG Test कराया जाता है। तो जब गर्भाशय में डाई इंजेक्ट की जाती है। तो उससे भ्रूण को समस्या हो सकती है। परंतु यह अंड़ो को प्रभावित नही करती हैं। आज से समय में ऐसी भी बहुत सारी तकनीकी है। जिनका प्रयोग कर भ्रूण को भी डेमेज होने से बचाया जा सकता है। 

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HSG टेस्ट  कराना में कितना खर्च आ सकता है ?

HSG टेस्ट का खर्च अलग-अलग लैब की फैसिलिटी (Lab Facility) पर निर्भर करता है। यह फैसिलिटी कई प्रकार की हो सकती है। जैसे शहरों के अधिकांश लैबों में ट्रांसपोर्ट खुद का होता है। जिससे लैब खर्च बढ़ जाता है। इसके बाद अलग-अलग शहरों में भी इसके खर्चे भिन्न-भिन्न हो सकते है। 

HSG Test की cost मोटे तौर पर देखें तो 3500 रुपये से लेकर 5500 रुपये  के बीच होता है। परंतु यदि पर anesthesia के साथ HSG Test कराती है। तो हो सकता है इसमें आपको 500 रुपये अतिरिक्त चार्ज देना पड़े। 

HSG टेस्ट के बाद मरीज को दर्द का सामना करना पड़ता है ?

HSG टेस्ट करने में 10 से 30 मिनट का समय लग सकता है। जैसे ही टेस्ट संपन्न हो जाता है। तो सारे उपकरणों को तुरंत निकाल दिया जाता है और मरीज को फ्री कर दिया जाता है। यदि दर्द की बात करें तो जब मरीज के गर्भाशय में डाइ इंजेक्ट की जाती है। तो उस दौरान दर्द हो सकता है। कभी कभी यह दर्द फैलोपियन ट्यूब के बंद होने की वजह से हो सकता है। परंतु यदि आप दर्द से नहीं गुजरना चाहती हैं। तो आप anesthesia के साथ HSG Test करायें। वैसे तो मोस्टली डॉक्टर HSG Test को anesthesia के साथ कराने की सलाह देते हैं। ताकि दर्द न सहन करना पड़े। 

डाइ इंजेक्ट करने के बाद बहुत बार डॉक्टर आपको अपने बॉडी की पोजिशन बदलने के लिए भी बोल सकता है और सांस रोकने की भी सिफारिस कर सकता है। HSG Test कराने में आपको इस पूरी प्रक्रिया से गुजरना पड़ सकता है। वैसे तो आधुनिक उपकरण बहुत ज्यादा Update हो चुके है। जिससे अब मरीजों को बहुत कम दर्द और समस्याओं से गुजरना पड़ता है।

क्या HSG टेस्ट निःसंतानता (इनफर्टिलिटी) का उपचार है ?

ऐसा बिल्कुल भी नही हैं। परंतु यदि किसी महिला को केवल HSG टेस्ट के बाद कंसीव हो जाता है। तो इसको केवल संयोग माना जायेगा। कुछ आंकड़े भी गुगल में बताते है। कि HSG Test के बाद कंसीव करने की क्षमता में 2 से 3 गुना तक सुधार होता है। परंतु अब तक इसके कोई साबूत  नही हैं। 

HSG test केवल इनफर्टिलिटी के कारणों की जानकारी देता है। इसका प्रजनन क्षमता में सुधार से कोई लेना देना नही है। और न ही HSG टेस्ट कंसीव करने में निःसंतान महिलाओं की मदद करता है।

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कौन-कौन सी स्थितियों में महिलाओं को HSG टेस्ट नही कराना चाहिए ?

HSG टेस्ट करने से पूर्व आपका डॉक्टर आपसे निम्नलिखित बातों का पूछता है। ऐसे में आपको इन बातों का विशेष ध्यान देना चाहिए और अपने डॉक्टर को बिल्कुल सही जबाव देना चाहिए। 

1. प्रेगनेंसी के बाद HSG Test नही कराना चाहिए। क्योंकि इसमें जो डाइ और Contrast Materials इंजेक्ट किया जाता है। वह गर्भ में पल रहे शिशु के लिए हार्मफुल हो सकता है। इसलिए डॉक्टर अक्सर बोलते है। कि इस टेस्ट को पीरियड के तुरंत बाद कराना चाहिए। क्योंकि इस दौरान प्रेगनेंसी की बहुत कम संभावना होती है। 

2. इसके बाद डॉक्टर कंफर्म करते है। कि आपको किसी भी प्रकार का यौन संक्रमण जैसे कि पीआईडी (पेल्विक इंफ्लमेटरी डिजीज) नही होनी चाहिए। 

3. वजाइना में से किसी भी प्रकार का असामान्य योनि स्त्राव (Abnormal vaginal discharge) नही होना चाहिए।

इन्हीं सभी बातों का ध्यान हर HSG Test कराने वाली महिला को रखना चाहिए। ताकि उनको किसी भी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े। 

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