प्रेगनेंसी से पहले कौन से टेस्ट की जरुरत होती है ? गर्भवास्था की यात्रा बहुत लंबी और परेशानी वाली होती है। ऐसे में डॉक्टर्स अक्सर महिलाओं को कुछ टेस्ट कराने की सलाह देते हैं। ताकि गर्भवती महिला एवं गर्भस्थ शिशु को किसी भी प्रकार की समस्या न हो। इन टेस्ट्स को प्री-प्रेगनेंसी टेस्ट करते हैं। प्रेगनेंसी प्लानिंग करने से पहले हर कपल को प्रेगनेंसी टेस्ट जरुर करवाना चाहिए। क्योंकि यह टेस्ट हेल्दी प्रेगनेंसी की संभावना को बढ़ा सकते हैं। । गर्भधारण करने के पूर्व डॉक्टर के पास भी एक बहुत ही अच्छा कदम होता है । जिसे हर दंपति को…
बच्चेदानी में सूजन (बल्की यूटरस) के कारण और उपचार Bulky Uterus in Hindi बच्चेदानी की सूजन को डॉक्टरों की बोलचाल की भाषा में Bulky Uterus के नाम से जाना जाता है। हम लोग इसे सामान्य भाषा में बच्चेदानी की सूजन का नाम दे देते है। बच्चेदानी की सूजन को Endometritis के साथ जोड़कर देखते हैं। बच्चेदानी की सूजन (बल्की यूटरस) के कारण महिलाओं को प्रेगनेंसी प्लानिंग में बहुत सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। बल्की यूटरस इस ऐसी समस्या है। जो महिलाओं में इनफर्टिलिटी के मामले बढ़ता है। महिलाओं के यूट्रस का साइज नाशपाती के समान होता है। महिलाओं…
प्रीमैच्योर डिलीवरी क्या है? हमारे देश प्रीमैच्योर डिलीवरी की सबसे अधिक घटनाओं वाले देशों में से एक बन गया है। एक आँकड़ा कहता है कि भारत में हर साल डेढ़ करोड़ बच्चे समय से पहले पैदा होते हैं और उनमें से 5 में से 1 भारत में होता है। ऐसे पैदा हुए बच्चों को बचाने के लिए हमें आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति से बचा सकते है। आइये जानते है कि आखिर प्रीमैच्योर डिलीवरी क्या होती है? और यह माँ एवं शिशु दोनो के लिए कैसे खतरनाक होती है। यदि किसी बच्चे का जन्म 37वें सप्ताह के पहले ही हो जाता है।…
क्या मां के गुस्से का गर्भस्थ शिशु पर प्रभाव पड़ता है? घर में नई मेहमान के आने की खुशी पूरे परिवार को सुखद अनुभव का अहसास कराती है। परंतु कुछ नई जिम्मेदारियों के साथ चुनौनियां भी दंपति और परिवार के सदस्यों के बीच होती है। गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला को गुस्सा आना स्वभाविक होता है । लेकिन इस गुस्सा का गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए हर गर्भवती महिला को कोशिश करनी चाहिए की गर्भास्था को दौरान गुस्से पर नियंत्रित करें और अपने शिशु के स्वास्थ्य पर गलत प्रभाव न पड़ने दें। पति-पत्नी…
प्रदूषण रोकने के आयुर्वेदिक उपाय आज हर कोई इस प्रदूषण से परेशान है । यह केवल भारत ही नही बल्कि पूरी दुनिया में चिंता का विषय बना हुई है। दिनोदिन बढ़ता प्रदूषण पर्यावरण के साथ हमारे शरीर को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचा रहा है। इस प्रदूषण के कारण लोग नपुंसकता का शिकार हो रहे है और महिलाओं में सबसे ज्यादा इनफर्टिलिटी की समस्या बढ़ रही है। आज दिल्ली सहित देश के अन्य शहरो का यह हाल है कि हवा में सांस लेना मुश्किल हो गया है। ऐसे में लोग सांस एवं हृदय से सबंधिक बीमारियों का शिकार सबसे ज्यादा हो…
फैलोपियन ट्यूब गर्भाशय से एक दाईं ओर और दूसरी बाईं ओर फैली हुई है। यदि वे बंद (अवरुद्ध) या संक्रमित हो जाती हैं, तो को महिलाओं को बच्चा करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। बंद फैलोपियन ट्यूब निःसंतानता का सबसे बड़ा कारण माना जाता है। क्योंकि दुनिया भर की 40 प्रतिशत महिलाओं में इनफर्टिलिटी की वजह बंद फैलोपियन ट्यूब ही है। अवरुद्ध फैलोपियन ट्यूब होने पर महिलाओं को गर्भवती होने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। पिछले दो से तीन दशकों में निःसंतानता में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। अवरुद्ध फैलोपियन ट्यूब महिला बांझपन का एक संभावित कारण…
माहवारी के कितने दिन बाद ओवुलेशन होता है ? अधिकांश महिलाएं गर्भधारण की जानकारी से अंजान होती है। उनको प्रेगनेंसी के बारें में अधिक समझ न होने के कारण कंसीव न होने पर घबरा जाती है। परंतु यदि महिलाओं को ओवुलेशन के संबंध में जानकारी होने पर उनके मन में आने वाले अशंकाओं पर रोक लगाई जा सकती है। महिलाओं के जीवन में पीरियड्स का सबसे ज्यादा महत्व होता है। इसलिए महिलाओं को पीरियड्स, मारिक धर्म चक्र एवं प्रेगनेंसी से जुड़े विषयों में जानकारी होना बहुत जरुरी होता है। (ये भी पढ़े – पीसीओएस/पीसीओडी का आयुर्वेदिक उपचार || पीरियड में एक्सरसाइज करनी चाहिए…
प्रेगनेंसी के लिए सम्बन्ध बनाने का सबसे सही दिन प्रेगनेंट होने के लिए सही माहवारी के सही दिन संबंध बनाना बहुत ही जरुरी होता है। ऐसे में आपकी प्रेगनेंसी की बहुत ज्यादा संभावना होती है। संबंध बनाने से पहले यदि आप कुछ महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखते है । तो आपको गर्भधारण करने में बहुत ज्यादा मदद मिल जायेगी। प्रेगनेंसी के लिए सम्बन्ध बनाने का सबसे सही दिन ओव्यूलेशन पर निर्भर करता है। माँ बनने का अहसास दूनिया की हर महिला के लिए एक खास पल होता है। यह पल न केवल महिला को खुशी देता है बल्कि उस…
बढ़ते प्रदूषण से आयुर्वेद कैसे बचा सकता है ? हर वर्ष नवंबर और दिसंबर के मध्य दिवाली के बाद दिल्ली सहित पूरे देश में वायु गुणवत्ता “खतरनाक” श्रेणी में दर्ज की है। इसलिए आयुर्वेदिक विशेषज्ञों द्वारा यह सलाह दी जाती है। कि आप प्रदूषकों के संपर्क को कम करें और आयुर्वेद जड़ी बूटियों के प्रयोग से अपने स्वसन तंत्र को मजबूत करें। आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां और कुछ काढ़े (क्वाथ) हैं। जो न केवल फेफड़ों के अच्छे स्वास्थ्य को सुनिश्चित करते हैं । बल्कि सांस की बीमारियों को भी दूर रखते हैं। पराली जलाने के कारण दिल्ली में प्रदूषण का स्तर पहले…