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प्रेगनेंसी के लिए सम्बन्ध बनाने का सबसे सही दिन 

प्रेगनेंट होने के लिए सही माहवारी के सही दिन संबंध बनाना बहुत ही जरुरी होता है। ऐसे में आपकी प्रेगनेंसी की बहुत ज्यादा संभावना होती है। संबंध बनाने से पहले यदि आप कुछ महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखते है । तो आपको गर्भधारण करने में बहुत ज्यादा मदद मिल जायेगी। प्रेगनेंसी के लिए सम्बन्ध बनाने का सबसे सही दिन ओव्यूलेशन पर निर्भर करता है। 

माँ बनने का अहसास दूनिया की हर महिला के लिए एक खास पल होता है। यह पल न केवल महिला को खुशी देता है बल्कि उस औरत से जुड़े हर एक व्यक्ति के लिए यह बहुत ही खुशी का समय होता है। जब किसी परिवार में नवजात शिशु की कलकारियां गूंजती है। तो पूरा परिवार का वातरावरण खूशी के माहौल में बदल जाता है। परंतु इन सब बातों के साथ-साथ गर्भधारण करने और एक स्वस्थ बच्चे को इस संसार में लाने के लिए कई मुशिबतों का भी सामना करना पड़ता है। 

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माहवारी के सही दिन (ओव्यलेशन) की जानकारी क्यों जरुरी है ?

प्रेगनेंट होने के लिए माहवारी के कुछ दिन ही ऐसे होते है । जब कोई महिला या पुरुष इंटरकोर्स करते है तभी प्रेगनेंसी होती है। परंतु कुछ लोगों में अभी भी भ्रांति बनी हुई है,कि आप माहवारी के किसी भी दिन यदि इंटरकोर्स करते है। तो प्रेगनेंसी रुक जायेगी । तो हम आपको बताया चाहेेंगे कि ऐसा बिल्कुल भी नही है। पूरे महीने के कुछ ही दिन होते है, जब आप संबंध बनाते है तो बच्चा कंसीव होता है। 

हर माहवारी के दौरान प्रत्येक महिला के एक ओवरी से अंडा रिजीज होता है और इसकी लाइफ 24-36 घंटे की होती है। यह अंडे निकलने का दिन महिला के महवारी के दिन पर निर्भर करता है। जैसे यदि किसी महिला को 28 दिन के पीरियड्स आते है।  तो उसका अंडा 10 वें दिन से लेकर 15 दिन के बीच रिलीज होगा। अब यदि उस महिला ने इन पांच दिनों में बीच संबंध जारी रखा है। तो प्रेगनेंसी की संबंध सबसे ज्यादा होती है। क्योंकि पुरुष के स्पर्म की लाइफ 3 से 5 दिन की होती है अर्थात यदि किसी पुरुष ने महिला से माहवारी के 10 वें दिन संबंध स्थापित किया है। तो वह उसकी ओवरी में 5 दिन तक जीवित रह सकता है। 

मोटे तौर पर देखा जायें तो पीरियड्स के सातवें दिन की समाप्त पर ओव्युलेशन की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाती है । और यह पीरियड्स के सात दिन पहले तक रहती है। इन पूरे अंतराल को फर्टाइल विंडो या फिर फर्टाइल स्टेज कहा जाता है। इस दौरान इंटरकोर्स करने से बच्चा लगने में पूरी सफलता मिलती है। 

महिलाएं ओवुलेशन के लक्षणों को कैसे समझें ?

प्रेगनेंसी के लिए ओवुलेशन टाइम को जानना और समझना बहुत ही जरुरी होता है। इसको जाननें में थोडी सी परेशानी इसलिए होती है कि हर महिला का ओवुलेशन पीरियड भिन्न-भिन्न होता है। सामान्यतः यदि आपके पीरियड्स नियमित है।  और 28 दिनों के है तो आपका ओवुलेशन टाइम मासिक धर्म चक्र के दौरान 14वें दिन होगा। 

प्रजनन क्षमता वाली महिलाओं के पीरिड्स अक्सर 28 से 32 दिनों के होते है। ऐसे में इन महिलाओं को ओवुलेशन होने की संभावना 10  वें दिन से लेकर 17वें दिन के बीच होती है। अर्थात आने वाली अगली माहवारी से 10 या 12 दिन पहले तक आप इंटरकोर्स करके बच्चा कंसीव कर सकती है। 

ओवुलेशन के समय महिलाओं के शरीर को मिलते है इस तरह के संकेत ?

  1. ओवुलेशन के दौरान वेजाइनल डिस्जार्ज अधिक होने लगता है। 
  2. महिला के शरीर का ताप अन्य दिनों की तुलना में अधिक होता है। 
  3. संबंध बनाना की इच्छा में तीव्र वृद्धि होती है।
  4. इस दौरान वेजाइनल डिस्जार्ज अधिक ज्यादा गाढ़ा और चिपचिपा महसूस होने लगता है। 
  5. कुछ ऐसी भी महिलाएं होती है जिनको पेट के निचले हिस्से में हल्का दर्द महसूस होता है। परंतु यह कुछ ही देर का होता है। 
  6. ओवुलेशन के समय महिलाओं के स्तन अधिक संवेदनशील स्थिति की मुद्रा में हो जाते है। 
  7. मतली एवं सिर दर्द जैसे लक्षण माहवारी के बाद ओवुलेशन की सुचना प्रदर्शित कर सकते है। 
  8. इन सभी लक्षणों के अतिरिक्त आप ओवुलेशन किट (कैलेण्डर) का उपयोग करके भी इंटरकोर्स कर सकती है। 

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यह सभी जानकारी आशा आयुर्वेदा की निःसंतानता विशेषज्ञ डॉ चंचल शर्मा से एक खास बातचीत के दौरान प्राप्त हुई है। यदि आप भी गर्भधारण में परेशानी आ रही है तो आशा आयुर्वेदा में संपर्क करें। 

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