ओलिगोस्पर्मिया

ओलिगोस्पर्मिया के घरेलू उपाय – Oligospermia ke Gharelu Upay

Oligospermia ओलिगोस्पर्मिया – वर्तमान समय में पर्यावरणीय  प्रदूषण इतना अधिक बढ़ रहा है जिससे न जाने कितने प्रकार की बीमारियाँ जन्म ले रही है। खराब पर्यावरण के कारण शुक्राणुओं की संख्या कमी होने लगी है।

औद्योगिक प्रदूषण,जीवनशैली,धूम्रपान और अधिक वजन के कारण हार्मोनल असंतुलन होते जा रहे है, जिससे पुरुष वीर्य बहुत अधिक प्रभावित हो रहा है।

जब पुरुष के वीर्य में शुक्राणु की संख्या कम हो जाती है तो उसे ओलिगोस्पर्मिया कहा जाता है।  ओलिगोस्पर्मिया पुरुषों में बांझपन के सामान्य कारणों में से एक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, ओलिगोस्पर्मिया तब होता है जब पुरुष के  शुक्राणु की संख्या 1 मिलीलीटर में 15 मिलियन से कम होती है।

सामान्य शुक्राणु संख्या 15 मिलियन से 200 मिलियन शुक्राणु प्रति मिलीलीटर वीर्य में होनी चाहिए।  शुक्राणु की अनुपस्थिति को ओलिगोस्पर्मिया के रूप में जाना जाता है। स्पर्म काउंट प्रजनन क्षमता में अहम भूमिका निभाता है, क्योंकि कम स्पर्म काउंट होने से अंडे के निषेचन की संभावना कम हो जाती है, जिससे आपके साथी के गर्भवती होने की संभावना प्रभावित होती है।

कुछ घरेलू उपाय हम आपको बताने जा रहे है जिसको अपना कर आप भी अपने वीर्य में सुधार करके ओलिगोस्पर्मिया जैसी समस्या से छुटकारा पा सकते है।

ओलिगोस्पर्मिया के घरेलू उपाय –

दिल्ली की मशहूर आयुर्वेदिक निःसंतानता विशेषज्ञ डॉ चंचल शर्मा के अनुसार स्पर्म काउंट बढ़ाने के लिए आपको अपनी डाइट में पालक, अनार, अखरोट, ब्रोकली इत्यादि खाद्य पदार्थों की शामिल करना चाहिए।

1. विटामिन डी – स्पर्म काउंट में वृद्धि करने के लिए विटामिन डी सबसे अच्छा स्त्रोत माना गया है। इसके सेवन से प्रजनन हार्मोन जैसे कि प्रोजेस्ट्रोन और एस्ट्रोजन का स्तर अच्छा हो जाता है जिससे गर्भधारण की संभावना अधिक हो जाती है। डेयरी प्रोडक्ट भी अच्छे स्त्रोत है जिससे आपको विटामिन डी की कमी पूरी हो जायेगी।

2. ट्रांस फैट – According to a 2011 Spanish study अधिक मात्रा में ट्रांस फैट के सेवन से वीर्य की मात्रा तथा गुणवत्ता दोनो में कमी आती है। इसलिए इन खाद्य पदार्थो का अधिक सेवन न करें।

3. धूम्रपान न करें – सिगरेट के धुएँ में 7000 से अधिक chemicals होते हैं, जो शुक्राणुओं की संख्या को कम करते हैं और अंततः पुरुष बांझपन की ओर ले जाते हैं। धूम्रपान न केवल शुक्राणु की गुणवत्ता में गिरावट का कारण बनता है, बल्कि शुक्राणु की मात्रा को भी प्रभावित करता है। इसलिए भूलकर भी धूम्रपान के सेवन न करें।

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