शीघ्रपतन, premature ejaculation

शीघ्रपतन का आयुर्वेदिक उपचार – Premature Ejaculation Ayurvedic Treatment

जब आप बस या फिर ट्रेन से यात्रा रहे होते है और जैसे ही किसी पुराने इलाके या फिर रेलवे स्टेशन की की आसपास दीवारों पर जब आपकी नजर पड़ती है तो यही पोस्टरों में यही लिखा मिलता है कि शीघ्रपतन premature ejaculation का सरतिजा इलाज य़ा फिर नमर्दगी का इलाज इत्यादि।

हमारे देश में आज भी लोग इस यौन समस्या के बारे में खुल कर बात करने में हिचकिचाते है। भारत के करीब 40 प्रतिशत पुरुषों को शीघ्रपतन की समस्या है क्योंकि जो भी पुरुष सेक्स के बारें में जितनी कम जानकारी रखते है उन्हें ऐसी समस्या अक्सर होती है। 

आयुर्वेद में यौन संबंध से जुड़ी सभी समस्याओं का उपचार उपलब्ध है। जानते है शीघ्र पतन या फिर शीघ्र स्खलन होता क्या है?

शीघ्रपतन तब होता है जब एक आदमी संभोग के दौरान न चाहते हुए भी जल्द ही स्खलन कर देता है।  शीघ्रपतन एक आम यौन समस्या है। शीघ्रपतन से पीड़ित पुरुषों में सेक्स का समय बहुत ही कम होता है।

आयुर्वेद के अनुसार अभी तक इस बात का पता नही चल पाया है कि संबंध बनाने का मानक समय कितना होना चाहिए और कितनी देर बाद पुरुष का वीर्य स्खलित होना चाहिए। परंतु सामान्य तौर पर एक स्वस्थ पुरुष के संभोग की अवधि लगभग 2 मिनट से 5 मिनट के बीच होनी चाहिए। जबकि शीघ्र स्खलन (Premature Ejaculation) से ग्रसित पुरुष का सेक्स टाइम इससे भी कम होता है।

शीघ्रपतन के लक्षण – Premature Ejaculation ke Lakshan

जब किसी पुरुष का वीर्य संभोग करने के दौरान एक मिनट से भी कम समय में स्खलित हो जाता है तो इस प्रकार की समस्या को शीघ्रपनत कहा जाता है। यह आजकल के पुरुष में पाई जाने वाली एक समस्या सी समस्या है।

शीघ्रपतन (Premature Ejaculation) के कुछ ऐसे लक्षण है जिसके आधार पर पुरुष खुद ही महसूस कर सकते है कि वह इस समस्या का शिकार हो चुके है। शीघ्रपनत के कुछ कारण नीचे दर्शायें गये है जो कि इस प्रकार है – 

  1. यौन उत्तेजना में कमी होना । 
  2. संभोग से पहले ही वीर्य का स्खलित हो जाना। 
  3. चरम सुख तक न पहुच पाना। 

शीघ्रपतन के कारण – Shighrapatan ke kaaran

शीघ्रपतन या वीर्य पतन के कई कारण होते है । शीघ्रपतन के मुख्य कारणों की बात की जाए तो मानसिक विकार इसका सबसे बड़ा कारण होता है। मानसिक तनाव के कारण पुरुषों के जीवन में बहुत सारी प्रजनन संबंधी परेशानियाँ आती है। प्रजनन संबंधी समस्याओं में से एक कारण है शीघ्रपन की समस्या जिसके चलते पुरुषों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। 

  1. हार्मोन बदलाव
  2. बुरी आदतें
  3. खराब जीवन शैली
  4. मानसिक तनाव
  5. अधिक शारीरिक परिश्रम
  6. मानसिक कमजोरी
  7. संतुलित भोजन एवं पौष्टिक खाद्य पदार्थों की कमी जिसके कारण शरीर के हार्मोन प्रभावित होते है ।

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शीघ्रपतन का आयुर्वेदिक उपचार – Premature Ejaculation Ayurvedic Treatment

अभी तक ऐलोपैथी में शीघ्रपतन का इलाज उपलब्ध नही है और जो इलाज है उसका कुछ दिनों तक सेवन करने के बाद न जाने कितने साइड इफैक्ट देखने को मिलते है। इसलिए बेहतर यही होगा कि शीघ्र स्खलन के उपचार हेतु आयुर्वेदिक उपचार अपनायें। 

आयुर्वेद में शीघ्र पतन का सफल इलाज उपलब्ध है वह भी बिना किसी साइड इफैक्ट।

आशा आयुर्वेदा की आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ चंचल शर्मा आज आपको बताएंगी कि कुछ ऐसी है आयुर्वेदिक औषधियों के बारें में जिनके सेवन से आप शीघ्र पतन की समस्या से छुटकारा पा जायेंगे।

शीघ्रपतन की आयुर्वेदिक दवाएँ – Shighrapatan ki Ayurvedic Dawai in Hindi

शतावरी शतावरी के अर्क में कामोद्दीपक गुण होते हैं। गर्म दूध में शतावरी पाउंडर मिलाकर पीने से शीघ्रपतन को रोकने में मदद  मिलती है। सेक्स ड्राइव को बढ़ावा देने और लवमेकिंग को बेहतर बनाने के लिए अपने आहार में शतावरी को शामिल करें।

गोक्षुर – गोक्षुर एक ऐसी आयुर्वेदिक औषधि है जिसके सेवन से शरीर के तीनों दोष (वात दोष, पित्त दोष, कप दोष) नियंत्रित हो जाते है। गौक्षुर यौन शक्ति बढ़ाने में मदद करता है तथा साथ ही शीघ्र स्खलन की बीमारी को कम करता है। इसके उपयोग से मांसपेशियों में मजबूती आती है और टेस्टोस्टेरोन का स्तर ठीक होता है।

केसर – जो पुरुष केसर का इस्तेमाल करते है वह  प्रारंभिक संभोग (शीघ्र पतन) और बांझपन को रोकने में सफल होते है।  केसर का उपयोग सेक्स में रुचि बढ़ाने (कामोत्तेजक के रूप में) के लिए किया जाता है जो आदि काल से होता आ रहा है।

मकरध्वज वटी – मकरध्वज वटी एक शास्त्रीय आयुर्वेदिक सूत्रीकरण है जो एक प्रभावी कायाकल्प है जो पुरुष समय से पहले बूढ़े हो जाते है उनको यह जवान कर देता है।  यह स्तंभन दोष या नपुंसकता सहित पुरुषों की स्वास्थ्य समस्याओं के लिए फ़ायदेमंद है। यह शीघ्र पतन (Premature Ejaculation) और ओलिगोस्पर्मिया के मामलों में भी उपयोगी हो सकता है।

इन  सभी आयुर्वेदिक दवाओं के अतिरिक्त उड़द की दाल, तरबूूज के बीज, अश्वगंधा, हरी प्याज, अदरक और शहद, लहसुन का सेवन भी अच्छा असर करता है ।

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