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अनियमित पीरियड्स से छुटकारा, अनियमित पीरियड्स के आयुर्वेदिक उपचार – Ayurvedic Treatment of Irregular Periods

महिलाओं में होने वाली एक ऐसी यौन स्वास्थ्य समस्या जिसे न तो बीमारी कहा जा सकता है और न ही किसी प्रकार का विकार। इस तरह की समस्या हार्मोन में असंतुलन के कारण उत्पन्न होती है। इस समस्या को हम कई नामों से जानते है जैसे पीरियड, माहवारी, मासिक चक्र, मासिक धर्म इत्यादि। यदि माहवारी नियमित (Irregular Periods) रहे तो सब कुछ ठीक रहता है परन्तु यदि यह अनियमित हो जाती है तो कई स्वास्थ्य संबंधी समस्या खड़ी हो जाती है। 

मासिक धर्म हर महिला के जीवन में एक खतरा है। हर महीने यह चक्र कई लोगों के लिए एक चक्रवात लेकर आता है। जहां कुछ पेट दर्द के कारण दम तोड़ देते हैं, वहीं कुछ को भारी रक्तस्राव होता है। कोई मुंहासों से लड़ता है तो कोई मिचली महसूस करता है और कई अनियमितता की परेशानी से जूझते हैं। हर महिला को किसी न किसी तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

अनियमित माहवारी (Irregular Periods) अधिकांश महिलाओं एवं युवतियों के लिए एक चुनौतीपूर्ण समस्या बनी हुई है। इस समस्या की मुख्य वजह अनुचित खानपान एवं लाइफस्टाइल को बताया गया है। अभी तक हुए बहुत सारे अध्ययनों से पता चलता है कि जिन महिलाओं में अनियमित पीरियड्स (Irregular Periods) होते है उनको 28 प्रतिशत तक ह्रदय रोग होने की पूर्ण संभावना होती है। भारत में लगभग 120 मिलियन  महिलाएं मासिक धर्म की शिथिलता का अनुभव करती हैं, जिससे उनके सामान्य दैनिक काम प्रभावित होते हैं।  मासिक धर्म की अनियमितता वाली महिलाओं की संख्या का अनुमान अनियमितता के कारण या प्रकृति से भिन्न हो सकता है। 14 से 25 प्रतिशत महिलाओं में प्रसव की समस्या केवल अनियमित पीरियड (Irregular Periods) के कारण ही होती है। 

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भारत में 355 मिलियन से अधिक मासिक धर्म (Menstrual) वाली महिलाएं और लड़कियां हैं,  जिसमें से  28 मिलियन महिलाओं को Menstrual स्वास्थ्य के साथ आरामदायक और सम्मानजनक अनुभव के लिए महत्वपूर्ण बाधाओं का सामना करना पड़ता है।

12 महीने में कितने पीरियड्स होने चाहिए?

पीरियड्स होने के पहले साल में ज्यादातर लड़कियों को कम से कम 4 पीरियड्स होते हैं, दूसरे वर्ष में कम से कम 6, और 3 से 5 वें वर्ष के लिए, प्रत्येक वर्ष कम से कम 8 होते है। ज्यादातर वयस्क महिलाओं को साल में 9 से 12 पीरियड्स होते हैं। वयस्क महिलाओं के पीरियड आमतौर पर 3 से 7 दिनों के बीच रहते है।

क्या किसी को महीने में दो बार पीरियड्स आ सकते हैं?

औसत मासिक धर्म चक्र 28 दिनों का होता है लेकिन 24 से 38 दिनों तक भिन्न हो सकता है। यदि मासिक धर्म (Menstrual) चक्र छोटा है, तो महिला को महीने में एक से अधिक बार मासिक धर्म हो सकता है। जबकि मासिक धर्म चक्र में कभी-कभी परिवर्तन असामान्य नहीं होते हैं, अक्सर एक महीने में दो अवधियों का अनुभव एक अंतर्निहित समस्या का संकेत दे सकता है।

क्या तनाव के कारण महीने में दो बार पीरियड्स हो सकते हैं?

डॉ चंचल शर्मा कहती है कि  तनाव का उच्च स्तर या तो बार-बार होने या पूरी तरह से छूटने का कारण बन सकता है, क्योंकि हर महीने आपके अंडाशय को ओव्यूलेट करने के लिए हार्मोन मस्तिष्क में उत्पन्न होते हैं (आप जानते हैं, वही जगह जहां तनाव शुरू होता है)।

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अनियमित माहवारी (Irregular Periods) की सबसे बड़ी वजह पीसीओएस क्यों है ?

पीसीओएस या पीसीओडी महिलाओं में होने वाली एक आम यौन स्वास्थ्य समस्या है। इस समस्या के उत्पन्न होने का सबसे बड़ा कारण पुरुष हार्मोन माना जाता है। जिन महिलाओं के शरीर में पुरुष हार्मोन की अधिकता अधिक हो जाती है उनको पीसीओडी की बीमारी का सामना करना पड़ता है। पीसीओडी से पीड़ित महिलाओं में अक्सर वजन बढ़ने की समस्या, डायबिटीज एवं हाइपरटेंशन जैसे कई रोग जन्म लेते है। पीसीओडी के कुछ ऐसे लक्षण है जैसे – पीरियड्स दर्द, अतिरिक्त बाल, मुंहासे , सिर के बालों का गिरना, गर्भधारण में परेशानी   होती है। 

अनियमित पीरियड्स के आयुर्वेदिक उपचार – Ayurvedic Treatment of Irregular Periods

अनियमित पीरियड्स (Irregular Periods) को ठीक करने के लिए आयुर्वेद सरल और प्राकृतिक उपचार प्रदान करता है। एलोपैथी के विपरीत, आयुर्वेदिक उपचारों में हार्मोनल दवाएं शामिल नहीं हैं। इस प्रकार, वे पूरी तरह से सुरक्षित हैं और किसी भी दुष्प्रभाव का कारण नहीं बनते हैं। आशा आयुर्वेदा में बेहतरीन आयुर्वेदिक दवाएं द हैं जिनका उपयोग अनियमित पीरियड्स के इलाज के लिए किया जाता है। 

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आयुर्वेदिक औषधि अनियमित माहवारी के इलाज में सहायक एक आयुर्वेदिक सूत्रीकरण है। यह हर्बल दवा मासिक धर्म संबंधी विकार को ठीक करती है। यह मासिक धर्म चक्र को नियमित करती है, ताकत बढ़ाती है, सहनशक्ति को बढ़ावा देती है और पूरे महीने जीवन शक्ति बनाए रखती है।

आयुर्वेदिक चिकित्सा एवं पंचकर्म पाचन क्रिया में भी सुधार करता है और रक्त को शुद्ध करता है। यह कम रक्तस्राव और पेट में भारीपन की समस्याओं का भी इलाज करता है। यह गर्भाशय टॉनिक मासिक धर्म चक्र के दौरान सबसे अच्छा काम करता है और मासिक धर्म के बीच एक सामान्य टॉनिक के रूप में सहायक होता है। यह कमजोरी और पीठ दर्द का भी इलाज करता है।

यह सभी जानकारी आशा आयुर्वेदा की निःसंतानता विशेषज्ञ डॉ चंचल शर्मा से खास बातचीत के दौरान प्राप्त हुई है। यदि आप आयुर्वेदिक चिकित्सा के द्वारा हमेशा लिए पीरियड्स जैसी समस्या को दूर करना चाहती है तो आशा आयुर्वेदा में संपर्क करें। 

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