एंडोमेट्रियल क्या है?, एंडोमेट्रियम नार्मल साइज क्या है?

एंडोमेट्रियम की पूरी जानकारी एंडोमेट्रियम क्या है?

एक स्वस्थ गर्भधारण करने के लिए प्रजनन प्रणाली को संतुलित रखने के लिए बहुत सारी चीजों का एक साथ होना जरुरी है। फर्टिलाइजेशन का सबसे पहला कदम है जिसमें आपके यूटरस में अंडे को सुरक्षित रखने के लिए बहुत सी प्रक्रियाएं होती है। और एक गर्भधारण करने की इस प्रक्रिया में सबसे मुख्य रुप से एंडोमेट्रियम या गर्भाशय का मोटा होना है।

एंडोमेट्रियम की मोटाई ही तय करती है कि एक महिला गर्भाशय का गर्भाधारण करने में योग्य है या नहीं है। इसके कारण भी कई महिलाओं को गर्भधारण करने में समस्या हो सकती है। आज इस आर्टिकल में हम जानेगे की एंडोमेट्रियल क्या है?, एंडोमेट्रियम नार्मल साइज क्या है? और एंडोमेट्रियम का आयुर्वेदिक उपचार क्या होता है?

एंडोमेट्रियल क्या है- Endometrial Kya hai

एंडोमेट्रियम एक टिश्यू जो गर्भाशय की लाइनिंग है। यौनावस्था में महिला के शरीर में कुछ ऐसे अंगों में से एक है जो होते है हर महीने आकार में बदलता रहता है। हर महीने मासिक चक्र के दौरान गर्भाशय की लाइनिंग यानी एंडोमेट्रियम विकसित होता है जो भ्रूण को विकसित करने में और उसकी जगह पर बनाये रखने में मदद करता है।

एंडोमेट्रियम गर्भाशय का आंतरिक परत जो रक्त वाहिकाओं में समृद्ध एक म्यूकोसा होता है। इसमें दो लेयर होती है- जिसमें से एक फंशनल लेयर होती है जो पीरियड्स के समय छिप जाती है और दूसरी लेयर उसका बेस के लिए होता है जो गर्भशय की दीवार पर हमेशा के लिए होती है।    

एंडोमेट्रियल थिकनेस कितनी होनी चाहिए

गर्भधारण करते समय महिला का सवाल रहता है कि एंडोमेट्रियल थिकनेस क्या होती है? और क्या समय के साथ एंडोमेट्रियल थिकनेस बदलती रहती है? मासिक धर्म (Menstrual Cycle) के अंत तक आते आते एंडोमेट्रियम की मोटाई काफी पतली रह जाती है। यानी पीरियड के बाद जब ऊपरी परत पूरी तरह से गिर जाती है तो गर्भाशय की दूसरी परत की थिकनेस लगभग 1 MM तक हो जाती है। जैसे ही अगले ओव्यूलेशन की प्रक्रिया शुरू होती है फिर से सेल्स नई फंक्शनल लेयर बनाना भी शुरू कर देगा।

सरल भाषा में कहे तो एंडोमेट्रियल मोटाई यानि एंडोमेट्रियम की मोटाई मासिक से पहले की अवधि में यानि ओव्यूलेशन के तुरंत बाद अधिकतम आकार की हो जाती है। इसी मोटाई से पता चलता है कि गर्भाशय गर्भधारण के लिए तैयार है या नहीं। इसी समय गर्भाशय के गुहा तक निषेचित अंडा पहुँचता है। अगर अंडा निषेचित नहीं होता है तो अगली माहवारी के दौरान गर्भाधारण के लिए एंडोमेट्रियल थिकनेस का इंतजार करना होगा। .

इस परत की थिकनेस हर महिला के लिए अलग-अलग होती है, पर फर्टिलाइज्ड अंडे को बनाएं रखने के लिए एंडोमेट्रियल थिकनेस सामान्य रुप से 8 से 15 एम.एम तक होनी चाहिए। 

एंडोमेट्रियम थिकनेस का पतला होने का कारण

एंडोमेट्रियम थिकनेस के पतला होने के बात करें तो इसके कई कारण हो सकते हैं-

  • पहला कारण ब्लड फ्लो का कम होना। अगर गर्भाशय में पर्याप्त मात्रा में खून की पूर्ति होने से नहीं होने से गर्भधारण करने में समस्या आ सकती है। क्योंकि इससे एंडोमेट्रियम की मोटाई में फ्रक आता है जो जटिलता का कारण बनता है। जैसे की रसौली से, गर्भशय के मुड़ जाने से, और अनहेल्डी लाइफस्टाइल से भी खून का बहाव कम हो सकता है। 
  • एंडोमेट्रियम का गलत तरीके से बढ़ना यानि सामान्य तौर पर एंडोमेट्रियम की थिकनेस 6 एम.एम से कम है तो कन्सेप्शन नहीं होता है। अगर इसकी थिकनेस 8 एम.एम. है और एंडोमेट्रियल लेयर की थिकनेस उतनी नहीं बढ़ रही है जितनी बढ़नी चाहिए तो यह गर्भाधारण होने से रोक सकता है। 
  • महिला के शरीर में एस्ट्रोजेन का स्तर कम होने से कभी-कभी सेल बढ़ना रुक जाते है जिससे एंडोमेट्रियम की थिकनेस भी नहीं बढ़ती है। 
  • जब प्रोजेस्ट्रॉन सही ढंग से फंक्शन नहीं करता है जैसे उसे करना चाहिए तो उस स्थिति में एंडोमेट्रियल लेयर की थिकनेस नहीं बढ़ती है। 
  • ओव्यूलेशन को उत्तेजित करने के लिए ली गई कुछ दवाइयों के साइड-इफेक्ट्स हो सकते है। और यहीं कारण है कि एंडोमेट्रियल लेयर पतली हो सकती है। 
  • स्ट्रेस से भरी लाइफस्टाइल के कारण कम नींद लेना और अराम ना करने से एंडोमेट्रियल लेयर ठीक से विकसित नहीं होती है। 

एंडोमेट्रियम थिकनेस के लिए आयुर्वेदिक उपचार

आयुर्वेद में महिला के एंडोमेट्रियल मोटाई उपचार के लिए सर्वोत्तम तौर तरीके शामिल है। आयुर्वेद में एंडोमेट्रियम को बढ़ाने के लिए उपचार मरीज की स्थिति के अधार पर किया जाता है। एंडोमेट्रियल मोटाई उपचार में आयुर्वेदिक औषधियां, हर्ब, काढ़ा (क्वाथ) तथा बहुत सारे रसायनों के द्वारा एंडोमेट्रियल थिकनेस को बढ़ाने में मदद करता है। पंचकर्म थेरेपी भी एंडोमेट्रियम थिकनेस को ठीक करने के लिए एक अच्छा विकल्प है। आयुर्वेदिक चिकित्सक एंडोमेट्रियम की स्थिति के आधार पर आयुर्वेदिक थेरेपी का भी सुझाव देते है।

आयुर्वेद अहार-विहार पर सबसे ज्यादा जोर देता है क्योंकि अधिकतर बीमारियों की जड़ हमारे भोजन और जीवनशैली पर निर्भर करता है। इसलिए एंडोमेट्रियम पतली परत वाली पीड़ित महिलाओं को अपने खानपान पर बहुत ज्यादा ध्यान देने की जरुरत होती है।

आयुर्वेद के अनुसार महिलाओं को अपने भोजन में फाइबर युक्त खाद्य पदार्थो को शामिल करना चाहिए। इसके सेवन से कोएंजाइम मिलता है। जोकि एक प्रभावी एंटी-ऑक्सीडेंट है जिससे टिश्यू से संबंधित समस्याएं कम होती हैं। इसके अलावा बैलेंस्ड और पौष्टिक डाइट लेने से एस्ट्रोजेन के स्तर में प्रभाव पड़ता है।

साथ ही हॉर्मोन्स का बैलेंस भी बना रहता है और ब्लड फ्लो बढ़ता है। इन सभी कारणों से गर्भावस्था के लिए एंडोमेट्रियल की थिकनेस बढ़ती है। इंसुलिन और कोर्टिसोल के स्तर को भी बनाए रखने के लिए पूरा दिन स्वस्थ आहार का सेवन करना चाहिए। और यह एंडोमेट्रियल की थिकनेस को बढ़ाने में मदद करता है। 

इसके अलावा स्वस्थ रहने के लिए खट्टे खाद्य पदार्थ और कैफिन के सेवन करना बंद कर दें। ज्यादा तनाव ना लें और अच्छी नींद लें क्योंकि इससे शरीर में टिश्यू की वृद्धि होती है। जिससे इसके फंक्शन में ठीक करने में मदद मिलती है। और देर तक जागने की आदत को पूरे तरीके से खत्म करें। खानपान के अलावा आप दिन में एक बार योगा जरुर करे जो फर्टिलिटी रेट को बूस्ट करने में मदद करता है। सुर्य नमस्कार, भुजंगासन, अनुलोम-विलोम, तितली आसन, कपालभाती, नौकासन, भ्रमारी प्राणायाम और 30 मिनट तक पैदल चले।

इस लेख की जानकारी हमें डॉक्टर चंचल शर्मा द्वारा दी गई है। इस विषय से जुड़ी या अन्य पीसीओएसट्यूब ब्लॉकेज(हाइड्रोसालपिनक्स) ट्यूब में पानी आदि पर ज्यादा जानकारी चाहते हैं। हमारे डॉक्टर चंचल की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाए या हमारे Infertility Clinic आने के लिए +91 9811773770 संपर्क करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *