प्रेगनेंसी में हाई ब्लड प्रेशर मां-बच्चे के लिए है जोखिम

प्रेगनेंसी में हाई ब्लड प्रेशर मां-बच्चे के लिए है जोखिम भरा – Dr. Chanchal Sharma

प्रेगनेंसी के दौरान एक महिला को कई तरह के उतार-चढ़ाव से गुजरना पड़ता है। ऐसे में महिलाओं को हाई या लो ब्लड प्रेशर की भी समस्या हो जाती है। दोनों ही स्थितियों में मां और बच्चे पर विपरीत असर डाल सकता हैं। ऐसे में महिला को काफी सावधानी बरतनी चाहिए ताकि ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहें। आज इस लेख के माध्यम से हम आपको बताएंगे की प्रेगनेंसी में हाइपरटेंशन के लक्षण कैसे नजर आते है जो एक प्रेगनेंट महिला और गर्भ में पल रहें शिशु के लिए किस तरह से खतरनाक हो सकता है। 

प्रेगनेंसी में हाइपरटेंशन क्यों होता है? 

ऐसा माना जाता है कि प्रेगनेंसी में हाइपरटेंशन (hypertension in pregnancy in hindi) या हाई ब्लड प्रेशर होने को जैस्टेशनल हाइपरटेंशन भी कहा जाता है। प्रेगनेंसी में हाइपरटेंशन की समस्या 7 से 8 प्रतिशत तक महिला को होती है। इसके सटीक कारणों के बारे में अभी तक पता नहीं चला पाया है, लेकिन कई रिस्क फैक्टर्स हो सकते हैं। वैसे ज्यादातर मामलों में विषेशज्ञ का कहना है कि 20 वर्ष से कम या 40 वर्ष की महिलाओं को हाइपरटेंशन की समस्या होने की संभवाना होती है। 

इसके अलावा मल्टीपल प्रेगनेंसी जैसे की जुड़वा बच्चे या तीन या चार बच्चे होने हाइपरटेंशन यानी हाई ब्लड प्रेशर की संभावना को बढाता है। साथ ही किसी महिला को पहले से ही किडनी संबंधित कोई समस्या है, तो उसे भी उच्च रक्तचाप होने की समस्या बढ़ सकती है। अगर जिन महिलाओं को पहली प्रेगनेंसी में हाइपरटेंशन की समस्या हुई थी उस केस में भी 25 प्रतिशत महिलाओं को दूसरी प्रेगनेंसी में भी हाइपरटेंशन की समस्या हो सकती है। 

और अगर आपको पहले से ही हाइपरटेंशन की समस्या है तो गर्भवस्था में यह और भी अधिक बढ़ सकता है। 

HIGH B.P गर्भ में पल रहें शिशु के लिए नुकसान

अगर हाइपरटेंशन की समस्या होती है तो गर्भ में पल रहें शिशु का शरीरिक विकास सहीं से नहीं हो पाता है। तो हाइपरटेंशन के कारण शिशु को ब्लड सप्लाई कम हो जाता है। प्रेगनेंसी में बीपी बढ़ने से ऐसे बच्चों का वजन भी जन्म के समय कम होता है और पूरे तरीके से शारीरिक व मानसिक विकास नहीं हो पाता है। इसकी वजह से प्रीक्‍लैंप्‍सिया, जेस्‍टेशनल डायबिटीज, हार्ट अटैक, किडनी फेलियर, प्रीमैच्‍योर डिलीवरी, लो बर्थ वेट और स्टिलबर्थ आदि का कारण बन सकता है।

अब सावल यह आता है कि pregnancy me bp kitna hona chahiye? सामान्य तौर से प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं का ब्लड प्रेशर 120/80 मिमी एचजी के भीतर होना चाहिए। 

कई बार तो ऐसी स्थिति पैदा होती है जब हाई बीपी होने पर डिलीवरी जल्दी करने की नौबत आ जाती है, ऐसे में वजन कम और समय से पहले डिलीवरी होने के कारण बच्चे को नवजात गहन चिकित्सा इकाई (Neonatal intensive care unit) में भेजने की संभावना बढ़ जाती है। 

प्रेगनेंसी में हाइपरटेंशन के लक्षण- Pregnancy Mein Hypertension Ke Lakshan

हर गर्भावस्था के लक्षण थोड़े अलग हो सकते हैं। गर्भावस्था के दूसरे भाग में मुख्य लक्षण उच्च रक्चचाप हो सकता है। जैसा की हमने जाना है कि उच्च रक्तचाप गर्भावस्था में अन्य गंभीर समस्याओं को जन्म दें सकता है। प्रेगनेंसी में हाइपरटेंशन या हाई ब्लड प्रेशर के लक्षणों को शामिल कर सकते हैं-

  • बार बार सिर दर्द होना 
  • बल्ड प्रेशर समान्य से अधिक होना
  • धुंधला दिखाई देना या आंखों से संबंधित समस्या होना
  • एसिडिटी की तरह पेट में दर्द होना
  • कम समय में अधिक वजन बढ़ना
  • शरीर में अधिक सुजन होना
  • पेशाब कम बनना
प्रेगनेंसी में हाई ब्लड प्रेशर से बचाव- Pregnancy Mein High Blood Pressure Se Bachav

प्रेगनेंसी में महिलाओं को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में Pregnancy me high bp kaise control kare? महिलाओं को हाई ब्लड प्रेशर यानी हाइपरटेंशन को नियंत्रित रखने के लिए कई तरीकों का इस्तेमाल किया जा सकता है। जैसे-

  •  प्रेगनेंसी में हाई ब्लड प्रेशर से बचने के लिए तनाव से बचें। तनाव मुक्त रहने के लिए योग, मेडिटेशन का सहारा लें सकते है। 
  • डायबिटिज प्रेगनेंसी में हाइपरटेंशन की स्थिति को खराब कर सकता है। ऐसे में अपने ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रिण में रखने की कोशिश करें। 
  • अपनी डाइट में हेल्डी फूड्स को शामिल करें। हाई बीपी से बचाव के लिए सोडियम या नमक का सेवन कम मात्रा में करना चाहिए। 
  • ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ लें जैसे कि छाछ, लस्सी, नरियल पानी आदी का सेवन करें। ताकि शरीर में पोषक तत्व मिलने के साथ डिहाइड्रेशन की स्थिति न पैदा हो।
  • खुद को अपने पसंसीदा कामों में व्यस्त रखें, ताकि इधर-उधर की बातों से मन न लगे। 
  • 7 वें महीने में गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप की समस्या से बचने के लिए आपको फल-सब्जियों का उपयोग अधिक से अधिक करना चाहिए जिनमें विटामिन, मिनरल्स, आयरन अधिक मात्रा हो। 
  • अपने डाइट में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा को कम करें। और साथ ही चाय, कॉफी या कैफीन युक्त पदार्थ से दूरी बनाए।   

इस लेख की जानकारी हमें डॉक्टर चंचल शर्मा द्वारा दी गई है। इस विषय से जुड़ी या अन्य पीसीओएस, ट्यूब ब्लॉकेज, हाइड्रोसालपिनक्स उपचार पर ज्यादा जानकारी चाहते हैं। हमारे डॉक्टर चंचल की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाए या हमसे +91 9811773770 संपर्क करें।

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