इनफर्टिलिटी का इलाज

बांझपन एक वैश्विक समस्या है जिसने वृहत स्तर पर एक बड़ी आबादी को अपनी चपेट में ले रखा है. WHO की लेटेस्ट रिपोर्ट्स की माने तो 17.5 % व्यस्क इसका सामना कर रहे हैं और 6 में से 1 युवा की हालत बहुत क्रिटिकल होती है. ये एक ऐसी समस्या बन गयी है जिसकी ओर जल्द जल्द ध्यान देना बहुत जरुरी है. यह दोष महिला या पुरुष दोनों में हो सकता है।

बांझपन एक ऐसी स्थिति है जहां गर्भधारण की कोशिश करने के एक साल बाद भी आप गर्भवती नहीं हो पाती हैं। बांझपन के कारणों में ओव्यूलेटरी विकार, एंडोमेट्रियोसिस, कम शुक्राणु संख्या या कम टेस्टोस्टेरोन शामिल हो सकते हैं। जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है बांझपन का खतरा बढ़ता जाता है। बांझपन से पीड़ित लोगों के लिए उपचार के कई विकल्प उपलब्ध हैं।

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हार्मोनल असंतुलन: यह अंडाशय और गर्भाशय के कामकाज में बाधा डाल सकता है।

ओवुलेशन की समस्या: अंडाशय से अंडे का उत्पन्न होना संबंधित समस्याओं के कारण बंद हो सकता है।

गर्भाशय या गर्भाशय नलिकाओं की समस्या: इन्फेक्शन, गर्भाशय के अंगों का विकार या नलिकाओं में बंदिशें हो सकती हैं।

स्पर्म की कमी: यह शुक्राणु की संख्या, गति और मानसंचार पर असर डाल सकती है।

अंडाशय की समस्या: अंडाशय की कोई समस्या भी फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकती है।

इन्फेक्शन या विकार: ये आंतरिक इन्फेक्शन या गर्भाशय के अंगों के विकार के कारण हो सकते हैं।

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आयुर्वेदा की अधिक सफलता दर और काम साइड इफेक्ट्स के कारण आजकल की भागदौड़ वाली ज़िन्दगी में लोगों का भरोसा आयुर्वेदा पर ज्यादा हो गया है. आयुर्वेदा में किसी भी बीमारी को जड़ से ख़त्म करने की क्षमता होती है. यहाँ आपको कुछ आयुर्वेदिक उपचार बताये जा रहे हैं जिसके द्वारा आप अपने दोष का निवारण कर सकते हैं:

प्राकृतिक और स्वास्थ्यप्रद आहार: इन्फर्टिलिटी के आयुर्वेदिक इलाज में सबसे महत्वपूर्ण कदम है स्वस्थ और प्राकृतिक आहार का सेवन करना। सेहतमंद आहार, जैसे कि फल, सब्जियां, अनाज, दालें, दूध और दूध के उत्पाद, इन्फर्टिलिटी को दूर करने में मदद कर सकते हैं।

आयुर्वेदिक दवाओं का उपयोग: आयुर्वेद में कई जड़ी-बूटियों, रसायनों, और आयुर्वेदिक औषधियों का उपयोग इन्फर्टिलिटी के इलाज में किया जाता है जो आपकी जीवनशैली में संतुलन को बनाए रखने में मदद करती हैं।

प्राणायाम और योग: योग और प्राणायाम का अभ्यास करना इनफर्टिलिटी का इलाज में उपयोगी हो सकता है। योगासन और प्राणायाम शरीर के रक्त परिसंचरण को बढ़ावा देते हैं, हार्मोनल बैलेंस को संतुलित करते हैं और तनाव को कम करते हैं।

पंचकर्म चिकित्सा: आयुर्वेद में पंचकर्म चिकित्सा का उपयोग भी इन्फर्टिलिटी के इलाज में किया जाता है। यह शरीर के विषाक्ति को बढ़ावा देता है, जिससे शरीर में और भविष्य की प्राजनन क्षमता में वृद्धि होती है।

आहार संशोधन: आयुर्वेद में आहार संशोधन का महत्व बहुत बड़ा है। इसमें अशुद्ध आहार का त्याग करना, प्राकृतिक और पौष्टिक आहार का सेवन करना, और सही समय पर भोजन करना शामिल होता है।

इन सभी कारणों से, आयुर्वेदिक इनफर्टिलिटी का इलाज के लिए उपयुक्त विकल्प हो सकता है। लेकिन ध्यान देना जरूरी है कि हर व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक संरचना अलग होती है, इसलिए सही चिकित्सा के लिए एक विशेषज्ञ डॉक्टर की सलाह लेना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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