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अब संतान सुख में एंड़ोमेट्रियोसिस नही बनेगा रुकावट जानें इसका आयुर्वेदिक उपचार

शादी के कुछ समय बात हर किसी के घर परिवार एवं रिस्तेदार नव दंपति से अक्सर एक ही सवाल पूछते है कि दो से तीन कब हो रहे हो? या फिर बोलते है कि खुश खबरी कब तक मिलेगी? और इसके अलावा यहां तक भी पूछते है कि लड्डू कब तक खिला रहे है? ऐसी सारी तमाम बातें होती है और हो भी क्यों न क्योंकि समाज और घर परिवार के यहीं नियम होते है।

आज से कुछ वर्षों पहले बच्चा पैदा करना जितना आसान होता था परंतु अब यह काम उतना ही कठिन होता जा रहा है। क्योंकि आगे बढ़ने की चाह , कैरियर की सुरक्षा ने हर किसी को परेशान कर रखा है। महिला और पुरुष दोनों अब कंधे से कंधा मिलाकर काम करते है और अधिक उम्र में शादी करते है , जिससे उसकी प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है। ऐसे में उनकी जीवन शैली एवं दूषित खाद्य पदार्थ प्रजनन अंगों को प्रभावित करते है जिससे बच्चा पैदा करने में बहुत सारी समस्याऐं होती है।

शादी के पहले तक तो किसी को पता ही नही होता है कि उन्हें कोई ऐसी समस्या है, जिससे बच्चे पैदा करने में कोई परेशानी होगी।  क्योंकि शादी के पहले कोई भी बच्चे पैदा करने का प्रयास नही करता है। शादी होने के बाद जैसे ही कंसीव करने की कोशिश करते है और उसमें असफल हो जाते है तो फिर चैकप के बारें में सोचते है, फिर समस्याओं के बारें में पता चलता है।

उन्हीं प्रजनन समस्याओं में से एक है एंड़ोमेट्रियोसिस की समस्या,जोकि संतान सुख में बाधा बनती है। एंड़ोमेट्रियोसिस की समस्या होने पर प्रोजेस्टेरोन नहीं बनता है जिससे एस्ट्रोजेन की प्रतिक्रिया में एंडोमेट्रियम बढ़ सकता है और गर्भधारण की प्रक्रिया अधूरी हो रह जाती है।

एलोपेथी चिकित्सा में एक ही विकल्प होता है कि सर्जरी परंतु इसमें किसी भी प्रकार की कोई गारंटी नही होती है कि यह सिस्ट फिर दूबारा से वापिस नही होगी और आप 100% कंसीव करने में सफल होंगे। वहीं आशा आयुर्वेद में इसका पूरी तरह से सफल इलाज होता है । आयुर्वेदिक इलाज नेचुरल इलाज होता है जिससे इसके दूबारा होने के बिल्कुल चांस नही होते है। आशा आयुर्वेद के इलाज में किसी भी प्रकार का कोई दुष्प्रभाव नही होता है और न ही इसके नियमित सेवन से अन्य किसी बीमारी होने का खतरा होता है। आशा आयुर्वेद का इलाज बहुत ही प्रभावी एवं कारगर है।

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एक नजर एंड़ोमेट्रियोसिस के कारणों पर –

एंड़ोमेट्रियोसिस के कारणों की बात करें तो सबसे ज्यादा खराब जीवनशैली एवं अधिक उम्र होती है जिसके कारण माँ बनने में अधिक परेशानी होती है और इसके अतिरिक्त भी कुछ कारण है जोकि निम्मलिखित है –

1. उम्र

2. मोटापा

3. असंतुलित आहार

4. हार्मोस

5. आनुवंशिक

एंड़ोमेट्रियोसिस के लक्षण –

साफतौर पर इसके लक्षणों का पता लगाना इतना आसान नही है अर्थात किसी एक लक्षण पर कोई ये नही कह सकता है कि इस महिला को एंड़ोमेट्रियोसिस की शिकायत है परंतु अन्य संकेतों के आधार पर एंड़ोमेट्रियोसिस के लक्षणों का पता लगाया जा सकता है –

1. अधिक ब्लीडिंग एवं असहनीय पीड़ा

2. पेट के निचले भाग में दर्द

3. जल्दी जल्दी पेशाब लगना एवं असहज महसूस होना।

4. संबंध बनाने में दर्द होना एवं यौन क्रिया में रुची न होना।

5. प्रजनन क्षमता में कमी एवं गर्भपात जैसी समस्या होना इत्यादि संकेत हो सकते है।

आयुर्वेद के अनुसार एंड़ोमेट्रियोसिस का इलाज

1. आहार – आशाआयुर्वेद सर्व प्रथम रोगी के खानपान एवं दिनचर्चा को सुधारने पर जोर देता है क्योंकि यदि आप संतुलित आहार एवं पौष्टिक आहार का सेवन कर रहें है तो आपको जल्द आराम मिलता है । साथ ही यदि आपकी दिन चर्या, ऋतु चर्या एवं रात्रि चर्या नियम पूर्वक चल रही हो तो आपको आयुर्वेदिक इलाज में शीघ्र ही अच्छे परिणाम मिलने लगते है।

2. गुग्गल – गर्भाशय से संबंधित समस्या के लिए प्राचीन काल से गुग्गल का प्रयोग किया जाता रहा है इसलिए आपको यदि एंड़ोमेट्रियोसिस की शिकायत है तो आप इसे ले सकती है।

3. ग्रीन टी – ग्रीन टी एक ऐसी आयुर्वेदिक हर्बल औषधि है जिसमें एपिगलोकेटेशिन गलेट नामक तत्व पाया जाता है जो एंड़ोमेट्रियोसिस के लक्षणों को कम करने में मदद करता है।

4. आंवला – आंवला एक प्राकृतिक औषधि है जो एंड़ोमेट्रियोसिस से पीड़ित महिलाओं की मदद कर सकता है क्योंकि आंवले में एंटीऑक्सीडेंट, एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटीबैक्टीरियल जैसे प्रमुख तत्व पायें जाते है।

5. लहसून – लहसून में अधिक मात्रा में एंटीऑक्‍सीडेंट के गुण पाये जाते है जोकि एंड़ोमेट्रियोसिस की सूजन को कम करने में काफी मददगार साबित होते है। इसलिए चिकित्सक की सलाह के आधार पर आप नियमित रुप से लहसून का सेवन कर सकती है।

6. कैस्टर ऑयल – कैस्टर ऑयल का काम होता है कि शरीर में मौजूद अरिरिक्त टिशू और टॉक्सिन्स को समाप्त करना और इसके अलावा यह लिम्पेटिक और सर्कुलेटरी तंत्र को भी बढ़ाता है जिससे एंड़ोमेट्रियोसिस की समस्या जल्द ही दूर हो जाती है।

7. हीटिंग पैड – यदि आप हीटिंग पैड का इस्तेमाल कर सकती है तो इससे होने वाले दर्द से जल्द ही राहत मिलती है और साथ ही सुजन कम करने में यह कभी सहायक होती है।

आशा आयुर्वेदा में आयुर्वेदिक दवाइयाँ एवं हर्बल औषधियाँ  से द्वारा नेचुरल तरीके से हार्मोन में संतुलन बिठाकर प्रजनन तंत्र को ठीक किया जाता है ।  जिससे गर्भाशय सुचारु रुप से कार्य करने के योग्य बन जाता है।  

यह सभी आयुर्वेदिक उपाय एवं उपचार आशा आयुर्वेदा की निःसंतानता विशेषज्ञ डॉ चंचळ शर्मा से बातचीत के दौरान प्राप्त हुए है। यदि आप निःसंतानता से संबंधित किसी भी समस्या के उपचार पर विचार-विमर्श करना चाहती है तो आशा आयुर्वेदा केन्द्र में संपर्क करें…..

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