ivf or ayurveda treatment

आईवीएफ महिलाओं के लिए बेहद खतरनाक

पूरी दुनिया में इनफर्टिलिटी के मामले बढ़ते जा रहे हैं। को लेकर कई महिलाओं के मन में डर होता है तो कई के मन में जिज्ञासा होती है। प्रेग्नेंसी महिलाओं के जीवन का एक महत्वपूर्ण चरण है। लेकिन किसी कारणवश कई महिलाएं इस सुख से वंचित रहती है। ऐसे में बच्चे की चाहत रखने वाले नि:संतानता Couple माता-पिता बनने के लिए किसी भी तरह की पीड़ा को सहने के लिए तैयार हो जाते हैं। एलोपैथी इलाज की बात करें तो निसंतानता की समस्या का पता लगते ही लोगों के दिमाग में सबसे पहले IVF का ख्याल ही आता है, जो एक तकलीफ देह प्रक्रिया है। 

इस प्रक्रिया में ज्यादातर बच्चों का जन्म रसायन से हो रहा है। इसके अलावा, आईवीएफ उपचार से गुजरने वाली महिलाओं में प्रसव के 12 महीनों के भीतर स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। हाल ही में अमरीका की रटगर्स यूनिवर्सिटी के एक शोधकर्ताओं के शोध में यह खुलासा हुआ है। शोधकर्ताओं ने 31,339,991 ऐसी महिलाओं का अध्ययन किया, जिन्होंने 2010 से 2018 के बीच डिलिवरी हुई थी। उन महिलाओं का भी जायजा लिया गया, जिन्हें आईवीएफ उपचार नहीं मिला।

जेएएमए नेटवर्क की एक रिपोर्ट के मुताबिक आईवीएफ उपचार के 66% मामले स्ट्रोक के जोखिम से जुड़े थे। ऐसी महिलाओं में हेमोरेजिक ब्रेन स्ट्रोक से पीड़ित होने की आशंका दोगुनी थी, जबकि इस्केमिक स्ट्रोक का जोखिम 55 फीसदी ज्यादा था। इस्केमिक ब्रेन स्ट्रोक के एक क्षेत्र में रक्त की आपूर्ति के नुकसान के कारण, जबकि हेमोरेजिक ब्रेन स्ट्रोक में रक्तस्राव के कारण होता है। ज्यादातर महिलाओं में जोखिम में बढ़ोतरी प्रसव के बाद 30 दिन में भी स्पष्ट थी।

यह मामला तब सामने आ रहा है जब दुनिया भर में लोग तेजी से आईवीएफ की नई तकनीक को अपना रहे हैं। आईवीएफ के कारण ब्रेन स्ट्रोक के साथ दिल की बीमारी भी महिलाओं में मृत्यु का बड़ा कारण बन रही है। हर साल तीन में से एक मौत दिल की बीमारी से होती है। स्ट्रोक पुरुषों व महिलाओं, दोनों में मौत का तीसरा बड़ा कारण है।

हालांकि, हमारी पांच हजार साल पुरानी आयुर्वेद पद्धति में निसंतान दंपत्तियों को माता-पिता बनने का सुख मिलता है। इस चिकित्सा में महिला को बिना सर्जरी और बिना किसी कष्टदायी प्रक्रिया के निसंतानता की समस्या से छुटकारा मिलता है। अगर महिलाएं नि:संतानता, बार-बार हो रहे गर्भपात, ट्यूब ब्लॉकेज आदि समस्या से पीड़ित है तो मायूस न हों। क्योंकि आशा आयुर्वेदा में पंचकर्म की उत्तर बस्ती विधि के बदौलत महिलाओं की कोख भर रही है।

इस पद्धति से लाखों लोगों को बिना किसी सर्जरी या साइड इफेक्ट के नेचुरल तरीके से बच्चा पाकर मातृत्व का सुख प्राप्त कर रही हैं। इस इलाज की सबसे अच्छी बात यह है कि कई गुणा सस्ता है और सफलता दर भी IVF के मुकाबले ज्यादा है।

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