तीसरी तिमाही, गर्भावस्था की तीसरी तिमाही

गर्भावस्था की तीसरी तिमाही – Third Trimester of Pregnancy

Third Trimester of Pregnancy गर्भावस्था की तीसरी तिमाही – के दौरान भ्रूण का विकास तेजी से जारी रहता है। इस दौरान आपका बच्चा अपनी आँखें खोलेगा, अधिक वजन हासिल करेगा, और प्रसव के लिए तैयार होगा।

तीसरी तिमाही आपकी गर्भावस्था की अंतिम तिमाही होती है। इस तिमाही के अंत तक आप अपने शिशु से मिलने के लिए उत्सुक होंगी है।

गर्भास्था की तीसरी तिमाही की शुरुआत 28 वें सप्ताह से लेकर 40 वें सप्ताह तक होती है। तीसरी तिमाही गर्भवती महिला के लिए काफी चुनौती पूर्ण अवस्था होती है। तीसरी तिमाही के 37 वें सप्ताह के अंत तक शिशु का संपूर्ण विकास हो जाता है।

37 वें सप्ताह से लेकर 40 सप्ताह के बीच किसी भी समय बच्चा जन्म ले सकता है। लगभग 32 वें सप्ताह में, आपके बच्चे की हड्डियाँ पूरी तरह से बन जाती हैं। शिशु अब अपनी आँखें खोल सकता है और हल्का महसूस कर सकता है।

तीसरी तिमाही गर्भवती महिला के लिए शारीरिक और भावनात्मक रूप से चुनौती पूर्ण हो सकती है। तीसरी तिमाही के दौरान क्या करना है, इस पर शोध करना और समझना आपकी गर्भावस्था के अंतिम चरणों में किसी भी चिंता को कम करने में मदद कर सकता है।

गर्भावस्था की तीसरी तिमाही के घरेलू टिप्स

1. तैरना – गर्भावस्था के दौरान स्विमिंग करना बहुत ही लाभकारी माना गया है। स्विमिंग करने से माँ और बच्चा दोनो का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। तैराने से दिल और फेफड़े दोनो अच्छे रहते है। स्विमिंग करने से बच्चे के जन्म देने की क्रिया में आसानी हो जाती है। व्यायाम करने के लिए तैराकी एक शानदार तरीका है।

2. गर्भ में पल रहें शिशु की गतिविधियाँ साझा करें – जब आपका बच्चा लात मारता है, तो अपने साथी (पति) का हाथ अपने पेट पर रखें ताकि वे भी गतिविधियाँ को महसूस कर सकें। यह उन्हें गर्भावस्था में अधिक आराम दिलाता है।  

3. मसाज – कोशिश के की गर्भवस्था की तीसरी तिमाही में सीधा पीठ के बल पर न लेटे, क्योंकि पीठ के बल लेटने पर आपकी ब्रीदिंग पर दबाव पड सकता है। अच्छा होगा कि आप करवट के सहारे लेटकर मसाज करवायें।

मालिश करने से आपकी गर्दन, पैर,कंधे,सिर सभी अंगो को आराम मिलता है। प्रसवपूर्व मालिश दबाव को दूर करने और चिंता, अवसाद और सूजन को कम करने में मदद करती है। यह समग्र श्रम परिणामों में सुधार भी कर करती है।

4. तीसरी तिमाही में डॉक्टर को अवश्य दिखाते रहें ताकि माँ तथा बच्चे दोनो के स्वास्थ्य की जानकारी प्राप्त होती रहे।

यदि आप स्वस्थ गर्भावस्था के लिए क्या खाएं, इस पर विचार की तलाश कर रहे हैं, तो आप सही जगह आशा आयुर्वेदा पर आए हैं।

गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में क्या खायें

आशा आयुर्वेदा की पोषण विशेषज्ञ डॉ चंचल शर्मा की मदद से, हमने आपकी गर्भावस्था के प्रत्येक तिमाही के दौरान स्वस्थ आहार लेने में आपकी मदद करने के लिए साप्ताहिक गर्भावस्था भोजन योजना बनाई है।

गर्भावस्था आहार चार्ट में स्वादिष्ट शाकाहारी विकल्प है। जिसमें उत्तर या दक्षिण भारत के व्यंजन शामिल हैं। गर्भावस्था आहार चार्ट में उन खाद्य पदार्थों को शामिल किया गया हैं जिनके पोषक तत्व आपकी गर्भावस्था के तिसारे चरण में आवश्यक होते हैं।

तीसरी तिमाही में, आपके बच्चे की वृद्धि तेजी से होगी क्योंकि वह वजन बढ़ाता है और गर्भ के बाहर आने के लिए तैयार होता है। जिसके कारण इस दौरान माँ के वजन में भी वृद्धि दर्ज की जाती है।

1. विटामिन K – रक्त के थक्के के लिए विटामिन के आवश्यक है, जो बच्चे के जन्म के बाद महत्वपूर्ण है। तीसरी तिमाही में आप विटामिन के से भरपूर भोजन खाएं ताकि आपका शरीर जन्म के समय पूरी मजबूती के साथ कार्य करने में सक्षम रहे। यह विटामिन सामान्य रक्त जमावट या थक्के बनाने में मदद करता है। यह प्रसव के दौरान किसी भी नवजात रक्तस्राव या रक्त की हानि को रोकने में मदद करता है।

हालाँकि इसका प्राकृतिक रूप माँ या नवजात शिशु को दिया जाता है, लेकिन इनसे भरपूर खाद्य पदार्थ लेना हमेशा माँ और बच्चे दोनों के लिए फ़ायदेमंद होगा। कुछ खाद्य पदार्थ  है  जिसमें के विटामिन मिल जाता है जैसे – पालक, ब्रोकोली, गोभी, वसंत प्याज, ब्रसेल्स स्प्राउट्स, किण्वित सोया और डेयरी उत्पाद इत्यादि।

2. आयरन – तिमाही में एनीमिया को रोकने के लिए आयरन एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है। यदि आप एनीमिक हैं, और स्थिति अनुपचारित हो जाती है, तो आपको समय से पहले प्रसव होने का खतरा अधिक होता है।

3. जिंक से भरपूर खाद्य पदार्थ –  जिंक गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए एक आवश्यक पौषण तत्व है इसके गर्भावस्था में इसके सेवन से प्रसव बहुत आसानी के साथ हो जाता है।

4. आयोडीन – भ्रूण के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए आयोडीन की आवश्यकता होती है। आयोडीन के लिए गर्भावस्था के दौरान केवल आयोडीन युक्त नमक का उपयोग करें।

5. दाल-  दालों में फोलिक एसिड पाया जाता है इसलिए अपने भोजन में  फलियां खासतौर पर काला चना और मूंग, हरी पत्तेदार सब्जियां पालक, चुलई और पुदीना शामिल करें।

6. फल और सब्जियां – हरी बीन्स, संतरे और टमाटर विटामिन के अच्छे स्रोत हैं। फोलिक एसिड की आपूर्ति के लिए टमाटर और पुदीने की चटनी के साथ उबले हुए चने का सलाद बना कर ले सकते हैं।

प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही में क्या नही खाना चाहिए

आयुर्वेद के अनुसार कुछ ऐसी चीजें है जिनका सेवन गर्भावस्था के दौरान नही करना चाहिए। क्योंकि इसके सेवन से गर्भ में पल रहा भ्रूण प्रभावित हो सकता है।

यदि अनजाने में कई महिला ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करती है जो कि गर्भावस्था के प्रतिकूल है तो माँ तथा शिशु के स्वास्थ्य पर नेगेटिव इफेक्ट (negative effect) पड़ता है।  

आपके गर्भ में पल रहे शिशु की  अच्छी सेहत के लिए कुछ खाद्य पदार्थों को नही खाना चाहिए। आशा आयुर्वेदा की फर्टिलिटी बता रहीं है कि गर्भावस्था के दौरान अनानास तथा पपीता जैसे फलों से सेवन बचना चाहिए क्योंकि इसके द्वारा गर्भपात होने के डर रहता है।

इसके साथ-साथ अंगूर से दूरी बनानी चाहिए क्योंकि अंगूर गर्म प्रकृति का होता है इसके खाने से गर्भ में पल रहे शिशु की सेहत प्रभावित हो सकती है। कुछ ऐसी चीजें है जिनका गर्भावस्था में सेवन नही करना चाहिए जो कि इस प्रकार है – 

तुलसी के पत्ते – तुलसी के पत्ते गर्भ में पल रहें शिशु की सेहत के लिए अच्छे नही होते है। तुलसी के पत्ते उनकी सेहत पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते है इसलिए गर्भावस्था के दौरान हो सके तो इसका सेवन न करें तो आपके लिए बेहतर होगा। 

चाईनीज फूड –  चाइनीज भोजन में अधिक मात्रा में सोडियम ग्लूूटामेट पाया जाता है। सोडियम ग्लूूटामेट शिशु के शारीरिक नुकसान पहुंचा सकता है। 

सोया सॉस – सोया सॉस के अधिक सेवन से माँ के शरीर में नमक की मात्रा अधिक हो जाती है। नमक अधिक हो जाने के कारण हाई ब्लड प्रशेर की समस्या हो सकती है जो गर्भपात का खतरा बन सकती है।

और पढ़े –

गर्भावस्था की पहली तिमाही 

प्रेग्‍नेंसी की दूसरी तिमाही

महिला निःसंतानता का आयुर्वेदिक उपचार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *