निल शुक्राणु, azoospermia , Ayurvedic treatment for azoospermia

निल स्पर्म (Azoospermia) के कारण और आयुर्वेदिक उपचार

Azoospermia – निल शुक्राणु या फिर वीर्य में शुक्राणु की कमी यह एक ऐसे शब्द है जोकि किसी निसंतान दंपत्ति के लिए खतरे से कम नहीं है। जब आपको इसके बारे में पता चलता है कि आप नेचुरल तरीके से बच्चे पैदा करने में असमर्थ हैं ऐसा सुनकर  एक बहुत बड़ा झटका सा लगता है। जो पुरुष बांझपन की समस्या से परेशान हैं उनमें से 5% ऐसे लोग हैं जो  एजूस्पर्मिया  की समस्या के कारण बच्चे पैदा नहीं कर सकते है।

आयुर्वेद में एजूस्पर्मिया का इलाज पूरी तरह से संभव है। आयुर्वेदिक इलाज की मदद से नील शुक्राणुओं की संख्या से पीड़ित व्यक्ति को पुनः इस योग्य बनाया जाता है कि संतान पैदा करने की समर्थताआ जाए ।

एजूस्पर्मिया (Azoospermia) मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं –

  1. ऑब्सट्रक्टिव एजुस्पर्मिया
  2. नोन-ऑब्सट्रक्टिव एजुस्पर्मिया दूसरा प्रकार है । 

एलोपैथी में ऐसी कोई भी दवा नहीं है जिसके सेवन से शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाई जाए अर्थात एजूस्पर्मिया (Azoospermia) का निवारण किया जाए परंतु आयुर्वेद में आज भी ऐसी ऐसी जड़ी बूटियां एवं हर्बल औषधियां मौजूद हैं जिनके नियमित सेवन एवं संतुलित खान पान को अपना कर निल शुक्राणुओं की समस्या को दूर किया जा सकता है।

एजूस्पर्मिया (Azoospermia) के लक्षण – Azoospermia ke Lakshan

निल शुक्राणु, निल शुक्राणु का आयुर्वेदिक उपचार
  1. सेक्स ड्राइव में कमी
  2. नपुंसकता (Erectile dysfunction)
  3. अंडकोष में गांठ या फिर उसके आसपास सूजन की समस्या
  4. पुरुषों के शरीर कम बाल होना 

एजूस्पर्मिया के कारण – Azoospermia ke Kaaran

एजूस्पर्मिया की समस्या आज के युग में एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। पुरुष निःसंतानता का एक मुख्य कारण एजूस्पर्मिया को माना जाता है । एजूस्पर्मिया आधारित आंकड़ों की बात करे तो करीब 15 प्रतिशत निःसंतानता की वजह एजूस्पर्मिया ही होती है। एजूस्पर्मिया के कुछ कारण है जोकि नीचे दर्शाए गये है  –

  1. परिपक्व शुक्राणु की कमी। 
  2. वीर्य में शुक्राणु न होना। 
  3. अनुवांशिक
  4. सर्जरी
  5. अंडकोष में सूजन

निल शुक्राणु का आयुर्वेदिक उपचार – Treatment for Azoospermia

1.) आयुर्वेद में एक अभ्यंग पद्धति है जिसको समान बोलचाल की भाषा में मसाज या फिर मालिश के नाम से जानते हैं। अभ्यंग प्रक्रिया के अंतर्गत आयुर्वेदिक तेलों के द्वारा शरीर की मालिश की जाती है जिससे संपूर्ण शरीर में रक्त का संचार तेजी के साथ होता है। रक्त संचार होने पर शुक्राणुओं की संख्या में वृद्धि देखने को मिलती है और साथ ही सेहत भी काफी बेहतर हो जाती है।

2.) शिलाजीत एक आयुर्वेदिक हर्बल औषधि है जिस में पर्याप्त मात्रा में एंटी एजिंग प्रॉपर्टी विद्यमान रहती है। यदि आप निल शुक्राणुओं की समस्या से ग्रसित है तो शिलाजीत का सेवन करना आपके लिए एक वरदान के जैसा होगा। शिलाजीत के द्वारा आप अपने शुक्राणुओं की संख्या में तेजी से इज़ाफा कर सकते हैं और एजू एस्पर्मिया की समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।

3.) आयुर्वेद के अनुसार आप अपने वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने के लिए अपने आहार में बदलाव कर सकते हैं। संतुलित एवं पोषक तत्वों से युक्त आहार आपके वीर्य में शुक्राणुओं की वृद्धि तो करेगा ही और साथ में शुक्राणुओं की गतिशीलता तथा गुणवत्ता में भी वृद्धि करेगा।

Treatment for Azoospermia – एजुस्पर्मिया की समस्या से निजात पाने के लिए आप अश्वगंधा का सेवन भी कर सकते हैं। अश्वगंधा में वीर्य बढ़ाने की सबसे ज्यादा क्षमता होती है और साथ ही यह आपको शारीरिक मजबूती भी प्रदान करता है।

निल शुक्राणु का पंचकर्म उपचार – Azoospermia ka Panchkarma Upchar

पंचकर्म चिकित्सा के द्वारा पुरुष के शरीर का स्वेदन तथा स्नेहन किया जाता है। स्वेदन तथा स्नेहन से पुरुष शरीर में रक्त का संचार तेजी के साथ होता है। पंचकर्म के द्वारा पुरुष शरीर की मांसपेशियाँ मजबूत होती है जिससे द्वारा प्रजनन अंगों में देर तक तनाव रह पाता है। पंचकर्म से पुरुष की इंद्रिय जगृत होती है और शांत मिलती है पंचकर्म के द्वारा अतिरिक्त वसा को दूर कर दिया जाता है। पंचकर्म चिकित्सा होने के बाद पुरुष के शरीर में शुक्राणुओं की संख्या में वृद्धि होती है। 

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