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हाइड्रोसालपिनक्स के बारे में पूरी जानकारी | Hydrosalpinx Full Information in Hindi

हाइड्रोसालपिनक्स (Hydrosalpinx) का मतलब (Meaning) क्या होता है ? हाइड्रो यानि की “पानी” और दूसरा है सालपिनक्स जिसका शाब्दिक अर्थ “ट्यूब” होता है।

फैलोपियन ट्यूब एक महत्वपूर्ण महिला प्रजनन अंग हैं। जिसका काम शुक्राणु, अंडे और भ्रूण को यात्रा को कराना होता है। जब महिला को ओव्यूलेशन होता है, तो अंडा ट्यूब से गुजर कर गर्भाशय की ओर बढ़ता है। और उसी ट्यूब में यात्रा के दौरान शुक्राण से मिलकर fertilize की प्रक्रिया को संपन्न करता है।

अंड और  शुक्राणु  मिलकर भ्रूण का निर्माण करते है और फिर गर्भाशय तक पहुंच जाते हैं। गर्भाशय में भ्रूण स्थापित हो जाता है और इस पूरी यात्रा की जिम्मेदारी फैलोपियन ट्यब की होती है तो इस पूरी प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। 

अब यदि यही फैलोपियन ट्यूब जो गर्भधारण की प्रक्रिया पूरी करती है। वह किसी संक्रमण या फिर सर्जरी व यौन रोगों की वजह से संक्रमित होकर डैमेज हो जाती है। और उसमें पानी भर जाता है तथा उसमें सूजन हो जाती है। तो उसे हाइड्रोसालपिनक्स की समस्या कहते है।

Hydrosalpinx शब्द का निर्माण दो शब्दों के संयोजन से हुआ है। हाइड्रोसालपिनक्स (Hydrosalpinx) का मतलब (Meaning) – हाइड्रो यानि की “पानी” और दूसरा है सालपिनक्स जिसका शाब्दिक अर्थ “ट्यूब” होता है। अर्थात जब ट्यूब में पानी भर जाता है या फिर नलों (Tube) में पानी भर जाता है। तो महिलाओं के प्रजनन अंगों में होने वाली ऐसी परेशानी को हाइड्रोसालपिनक्स कहते हैं।

अब तो आप Hydrosalpinx को अच्छी तरह से समझ ही गये होेंगे। हाइड्रोसालपिनक्स महिलाओं की फर्टिलिटी में एक बहुत बड़ी बाधा है जो महिलाओं को मातृत्व सुख से दूर कर सकती है। वर्तमान में बढ़ती इनफर्टिलिटी में Hydrosalpinx का भी बहुत बड़ा हाथ है।

(और पढ़े – What is Hydrosalpinx? How does it cause infertility?)

हाइड्रोसालपिनक्स के कारण – hydrosalpinx causes in Hindi 

सबसे आम लक्षण दर्द है जो महिला के निचले पेट या श्रोणि में शुरू होता है और पीठ, जांघ या ग्रोइन में भी फैल सकता है। दर्द लगातार बना रहता और कभी-कभी थोडी-थोडी देर से दर्द होता है।

हाइड्रोसालपिनक्स के बहुत सारे कारण हो सकते हैं। इसका सबसे बड़ा और मुख्य कारण है, पीआईडी (पेल्विक इनफ्लामेटरी डिजीज)  जो सबसे ज्यादा Hydrosalpinx के लिए जिम्मेदार माना जाता है। 

पीआईडी – इस संक्रमण के कारण महिला के नलों में सूजन आ जाती है। 

टीबी (ट्यूबरक्लोसिस) – हाइड्रोसालपिनक्स के 70 प्रतिशत केशों में टीबी मुख्य कारण होता है। यह टीबी जेनिटल ट्यूबरक्लोरसिस भी हो सकता है। या फिर यह शरीर के किसी और भी अंग मे हो सकता है। जिसके प्रभाव के कारण ही महिलाओं के नलों में पानी भर जाता हैं।

सेक्सुली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन – यदि किसी महिला के पति को किसी भी तरह का सेक्सुल इंफेक्शन हैं। तो संबंध बनाने के दौरान महिला के गर्भाशय में प्रवेश करके नलिकाओं में पानी को इकट्ठा कर सकता है।

पुरानी सर्जरी द्वारा संक्रमण ( previous surgery infection ) –  यदि किसी महिला को पूर्व में कोई ऑपरेशन हुआ है।

ट्यूब में डैमेज – किन्हीं कारणों से यदि ट्यूब में डैमज हो जाता है। तो वहां से ट्यूूब रिसाव करने लगती है। और धीरे-धीरे वही रिसाव एक वाटर कलेक्शन (Water collection)के फार्म में इकट्ठा होकर महिलाओं की नलिकाओं को बंद कर देता हैं।

(और पढ़े – Tubal disease infertility: reproductive Ayurvedic treatment)

हाइड्रोसालपिनक्स के लक्षण – Hydrosalpinx Symptoms in Hindi 

हाइड्रोसालपिनक्स की बात करें। तो ऐसे बहुत सारे पेशेंट होते हैं। जिनको Hydrosalpinx की समस्या तो होती है। परंतु उनको कोई भी लक्षण नही होते हैं। परंतु कुछ ऐसे  संभावित लक्षण होते है। जिसको सरलता से देखा जा सकता है। जैसे –

Abdominal pain – महिलाओं के lower abdomen कि नलिकाओं के राइट और लेफ्ट दोनों साइड दर्द का कारण बनता है। कभी-कभी तो ऐसा होता है। कि पूरे lower abdomen (नाभि का निचला हिस्सा) में तेज दर्द महिलाओं को महसूस होता है। वैसे तो महिलाओं को सामान्य रुप से योनि स्राव होता रहता है। परंतु  कई बार योनि से असामान्य योनि स्राव (unusual vaginal discharge) होता है।

यह भी एक लक्षण है हाइड्रोसालपिनक्स। परंतु ऐसे भी बहुत सारे पेशेंट होते है। जिनका कहना होता है। कि उनको किसी भी प्रकार की  न खुजली ( Itching) होती है, no curdy discharge और न ही किसी प्रकार की योगि से गंध आती है। परंतु नीचे बहुत ज्यादा गीला रहता है और नीचे पानी के जैसा रिसता है। ऐसे ऐसे माममों में हम हाइड्रोसालपिनक्स के अंतर्गत रख सकते हैं।

(और पढ़े – अनचाही प्रेगनेंसी रोकने के उपाय)

हाइड्रोसालपिनक्स का डायग्नोसिस कैसे करें – hydrosalpinx Diagnosis in Hindi 

अब बात करते हैं। कि हाइड्रोसालपिनक्स की जांच या कैसे पता लगायें । कि महिला को hydrosalpinx ही है। वो कौन-कौन से मैथड्स हैं। जिससे जान सकते हैं। कि हाइड्रोसालपिनक्स है या नहीं।

हाइड्रोसालपिनक्स – हाइड्रोसालपिनक्स की जांच के लिए सबसे महत्वपूर्ण HSG (Hysterosalpingography ) Test है। इस HSG में महिलाओं की नलिकाएं बहुत ही साफ दिखाई देती है। और यदि इन नलिकाओं में कहीं पर भी कोई रुकवाट या फिर सूजन हैं, या फिर किसी भी प्रकार का कोई कैलेक्शन (जमाव)  हैं। तो हम उसे HSG (Hysterosalpingography) के माध्यम से आसानी से देख सकते हैं। और उसका कितना लेवल है। वह भी हम HSG के द्वारा देख सकते हैं। तो HSG टेस्ट हाइड्रोसालपिनक्स की पुष्टि के लिए सबसे अच्छा माना जाता है।

लैप्रोस्कोपी टेस्ट – इस टेस्ट में दूरबीन के द्वारा नलिकाओं देखा जाता है और उनकी कंडीशन की जानकारी ली जाती है। कि ट्यूब की स्थिति कैसी है। और इन नलिकाओं में पानी तो नही भरा है।

अल्ट्रासाउंड – यह भी हाइड्रोसालपिनक्स की जांच करना का एक माध्यम हैं। परंतु इसके परिणाम अच्छे नही आते है। इसलिए इस पर भरोसा करना उचित नही है। क्योंकि बहुत बार तो ऐसा भी होता है। कि ट्यूब में पानी न होकर ट्यूब के आपपास के एरिया में होता है। जिसको मेडिकल में पीओडी बोला जाता है। इस कंडीशन में अल्ट्रासाउंड कारगर नही होता हैं।

(और पढ़े – ट्यूब खोलने के घरेलू नुस्खे)

हाइड्रोसालपिनक्स का उपचार कैसे करें – How to Treat Hydrosalpinx in Hindi 

यदि हम हाइड्रोसालपिनक्स के मार्डन साइंट ट्रीटमेंट की बात करें। तो इस उपचार के अंतर्गत ट्यूब को क्लीप कर देते हैं। यानि कि ट्यूब को क्लैम्प( बांध देना, tubal clipping)  या उनको निकाल देना ही इस चिकित्सा का उपचार है। ये ऐसा इसलिए किया जाता है। कि यदि नलिकाओं में थोडा भी  रहता है तो वह रिसता रहता है।

और जो भ्रूण नेचुरल तरीके से बनता है। तो वह भी वह जाता है। या फिर आईवीएफ तरीक या आप्राकृतिक (कृतिम) रुप से कोई भ्रूण बनाकर गर्भाशय में डाला जाता है । तो इन गर्भाशय नलियों में जो पानी एकात्रित है। उसकी वजह से स्मीअप या वॉशआउट हो जाता है। और प्रेगनेंसी नही रुकती है। इसलिए हाइड्रोसालपिनक्स की ऐलौपैथी में यह ट्रीटमेंट करते हैं। 

आयुर्वेद के हिसाब से Hydrosalpinx का उपचार बहुत से सक्सेस है। 10 वर्षों से अधिक समय से हाइड्रोसालपिनक्स का सफल उपचार आशा आयुर्वेदा की डॉ चंचल शर्मा कर रही है। Hydrosalpinx के उपचार में पेशेंट को सबसे पहले आयुर्वेदिक औषधियां दी जाती है। जो इस पानी को सुखाने का कार्य करती हैं। उसके बाद इस पानी से इस ट्यूब के अंदर जो भी डैमेज हुआ है।

उसको रिजॉल्ब करने के लिए उत्तर बस्ती ट्रीटमेंट के माध्यम से मेडिकेटिड हर्ब यूट्रस में डाला जाता है। जो वहां पर हीलिंग का कार्य करती हैं। इसी वजह से हाइड्रोसाल्पिंस मे न सिर्फ पानी सुखता है। बल्कि वहां पर हीलिंग भी होती है। और वापिस से पेशेंट की ट्यूब हेल्दी कंडीशन में आकर कंसीव कर लेते हैं। साथ ही यदि हाइड्रोसालपिनक्स के साथ ट्यूबल ब्लॉकेज भी है। तो वह भी उत्तर बस्ती ट्रीटमेंट के माध्यम से रिजॉल्व हो जाती है।

(और पढ़े – फैलोपियन ट्यूब ब्लॉकेज के लक्षण और उपचार)

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