amh level in hindi

AMH Test in Hindiएंटी-मुलेरियन हार्मोन टेस्ट क्या है?

शादी के बाद हर महिला का सपना मां बनने का होता है। महिलाओं को खूद लगता है की गर्भधारण करने के लिए उनका शरीर हेल्डी है। कई बार अनियमित मासिक धर्म और अन्य शरीरीक समस्याओं को नजरअंदाज कर देती हैं जबकि इसका सीधा संबंध फर्टिलिटी से होता है। उम्र बढ़ने से हर महिला को इनफर्टिलिटी की समस्या हो ये जरुरी नहीं, लेकिन आजकल हमारे बदलते लाइफस्टाइल और अन्य कारक भी मौजूद है। दंपति जीवन में सबकुछ ठीक होने के बावजूद गर्भधारण ना कर पाना किसी भी महिला को मानसिक रूप से तनाव में डालता है। 

गर्भधारण नहीं होने के महत्वपूर्ण कारकों में से एक है अंडो का नहीं, बनना कम बनना या गुणवत्ता नहीं होना है। इसलिए हर महिला को अपने ओवेरियन रिजर्व को समझना बहुत जरूरी है। इस मामले में महिलाओं के लिए एंटी-मुलेरियन हार्मोन (Anti Mullerian Hormone) टेस्ट कर सकती हैं। ये टेस्ट वो महिलाएं करवा सकती हैं जिन्हे गर्भधारण करने में दिक्कत हो रही है। आज इस आर्टिकल में हम एएमएच टेस्ट (AMH Test in Hindi) और Low AMH के आयुर्वेदिक उपाय के बारे में विस्तार से बात करेंगे। 

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What is AMH Test in Hindiएएमएच टेस्ट क्या है?

जन्म के साथ ही महिला के अण्डों की संख्या तय होती है और माहवारी शुरू होने के साथ कुछ अंडे हर महीने खत्म होते जाते हैं। 18 से 30 वर्ष तक की उम्र में अण्डों की क्वालिटी बहुत अच्छी होती है यह समय गर्भधारण के लिए भी उत्तम होता हैं। लेकिन हमारी खराब जीवनशैली और शरीरक स्वस्थ के कारण अण्डों की क्वालिटी गिरने लगती है। ऐसे में डॉक्टर एएमएच टेस्ट करवाने की सलाह देते है।

एंटी-म्युलेरियन हार्मोन ओवेरियन फॉलिक में मौजूद सेल्स से पैदा होता है। खून में इस हर्मोन के लेवल से ओवेरियन रिजर्व (Ovarian Reserve) का पता चलता है, इससे गर्भधारण में हो रही देरी से महिलाओं की फर्टिलिटी पोटेंशियल की जांच करते है। ओवेरियन रिजर्व कम तब होता है, जब संख्या में शारीरिक कमी आती है, जिससे गर्भावस्था सुनिश्चित करने के लिए इनकी अपर्याप्त संख्या होती है। एएमएच हार्मोन का कम लेवल इनफर्टिलिटी को दर्शाता है और बढ़े हुए लेवल पोली सेसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) जैसी स्थिति को बताता है।

Why is an AMH Test in Hindiएएमएच टेस्ट क्यों होता है?

अब हमने यह तो जान लिया की Amh टेस्ट क्या है? लेकिन मन में एएमएच टेस्ट को लेकर कई सवाल रहते है। यह टेस्ट कई कारणों से किया जाता है। यह महिला के अंडाशय में अंडों के रिजर्व होने का संकेत देता है जिससे इस बात की पता चलता है कि निषेचन के लिए कितने अंडे उपलब्ध हैं। इससे डॉक्टर गर्भावस्था की संभावना का अंदाजा लगाते हैं।

ओवेरियन फॉलिकल में एएमएच का निर्माण होता है। उम्र बढ़ने पर महिला में अंडों की संख्या कम होने लगती है और इसका स्तर भी कम होता है। इस लिहाजे से यह टेस्ट से इस बात की पुष्टि करता है कि एक महिला के अंडाशय में कितने अंडे बचे हुए हैं। बचे हुए अंडों से गर्भधारण का अंदाजा लगाया जा सकता है।

इन सबके अलावा भी एएमएच टेस्ट का इस्तेमाल अन्य कारणों से किया जा सकता है जैसे कि –

  • एमेनोरिया (पीरियड्स नहीं आना) का कारण 
  • पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) का निदान करना
  • मेनोपॉज (Menopause) के शुरुआती लक्षण पता करना

इस टेस्ट का उपयोग ओवेरियन कैंसर से पीड़ित के स्वास्थ्य की निगरानी करने के लिए भी किया जा सकता है।

How is the AMH test done in Hindiएएमएच टेस्ट कैसे टेस्ट होता है?

एएमएच टेस्ट एक आसान ब्लड टेस्ट की प्रक्रिया है। इसमें डॉक्टर अपके ब्लड का सैंपल लेकर उसकी जांच करते हैं। एएमएच टेस्ट करने के लिए कुछ खास मेडिकल उपकरणों की जरूरत होती है। इसलिए इसे डॉक्टर की निगरानी में क्लिनिक या हॉस्पिटल में किया जाता है।

सामान्य महिला में एएमएच स्तर (AMH लेवल कितना होना चाहिए) का 2.5 से 6.0 नैनोग्राम/मिली होता है। 1.0 नैनोग्राम/मिली से कम मात्रा और 7.0 नैनोग्राम/मिली से अधिक मात्रा होने पर आपको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। यह पोलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) का संकेत हो सकता है।

जल्द उपचार कराने पर इसकी मात्रा सामान्य कर सफलतापूर्वक गर्भधारण किया जा सकता है। अगर एएमएच का स्तर बहुत कम है तो इसका मतलब है कि आपकी प्रजनन क्षमता बहुत कम है।

Causes of low AMH levels in Hindiकम एएमएच का स्तर के कारण

एक लड़की जन्म के साथ निर्धारित अंडों के साथ पैदा होती है। जब वह लड़की बड़ी होती है तो उसके पीरियड्स आने शुरू हो जाते है। हर महीने एक अंडा पीरियड्स के रूप में शरीर से बहार निकलता है। इस तरह से उम्र बढ़ने के साथ अंडों की संख्या कम हो जाती है।

इसलिए कहा जाता है की कम उम्र की महिलाओं में ज्यादा उम्र की महिलाओं के मुकाबले गर्भधारण की संभावना अधिक होती है क्योंकि उनके अंडाशयों में ज्यादा अंडे मौजूद होते हैं।

उम्र बढ़ने के साथ एएमएच यानि महिला के अंडाशयों में अंडो की संख्या कम हो जाती है। लेकिन कम उम्र की महिलाओं में भी आजकल उम्र से पहले एएमएच के स्तर में गिरावट देखी जा रही है। इसका मुख्य कारण (Low AMH के कारण) आजकल की खराब जीवनशैली, खानपान और तनाव है। इसलिए महिलाओं को संतलित आहार लेने और तनाव से दूर रहने की सलाह दी जाती है।

Ayurvedic Treatment for Low AMH in Hindiकम एएमएच के लिए आयुर्वेदिक उपचार

एएमएच कम हो या ज्यादा आयुर्वेदिक उपचार से महिलाओं के अंडो की संख्या सामान्या हो सकती है। और इनकी गुणवत्ता में भी सुधार किया जा सकता है। आयुर्वेद के अनुसार अभ्यंग के जरिए औषधि तैलो को उपयोग कर गर्भाशय में रक्त का संचार तेजी से करता है।

आप हप्ते में चार दिन औषधि तैलो से मसाज करके अंडाशय के अंडा को आकार बड़ा कर सकती है और उनकी क्वालिटी में भी सुधार कर सकती है। साथ ही तनाव के कारण भी अंडो में कमी का कारण होता है इसलिए महिलाओं को तनाव नही लेना चाहिए। तनाव के कारण हार्मोन डिसबैलेंस होता है इससे हार्मोन का संतुलन बिगड़ जाता है। इसलिए गर्भधारण के लिए स्ट्रेस बिल्कुल भी न ले।

अंडो की गुणवत्ता और संख्या बढ़ाने के लिए आपको फर्टिलिटी डाइट लेनी चाहिए, जिससे कि आपके अंडे डैमेज न हो और साथ ही अच्छी क्वालिटी के तैयार हो। अंडो को हैल्थी रखने के लिए आप तिल के बीज या पमकिन के बीज का भी सेवन कर सकती है। रोजाना विटामिन-डी का सेवन करें। सुबह उठकर सुरज की रोशनी ले। और हरी सब्जियों का सेवन करें क्योंकि इससे भी एएमएच हर्मोन बढ़ता है। सीजन की सारी हरी सब्जियों को डाइट में शामिल करें। 

खानपान के अलावा आप दिन में एक बार योगा जरुर करे जो फर्टिलिटी रेट को बूस्ट करने में मदद करता है। और यह भी सच है कि डॉ चंचल शर्मा द्वारा बताए गए इन आसनों से कई महिलाओं और युवतियों को फायदा हुआ है। इसे आप घर बैठे या किसी पार्क में बैठकर आसानी से कर सकती हैं।

इस विषय से जुड़ी या अन्य  पीसीओएसट्यूब ब्लॉकेजहाइड्रोसालपिनक्स उपचार पर ज्यादा जानकारी चाहते हैं। हमारे डॉक्टर चंचल की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाए या हमसे +91 9811773770 संपर्क करें।

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