Tubal Blockage और PID

Tubal Blockage और PID एक साथ हो तो क्या करे ?

महिलाओं को अपने पूरे जीवन में कई मानसिक, शरीरिक और हार्मोनल उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ता है। इसमें कुछ ऐसी समस्याएं होती है जो सीधे उनके प्रजनन अंगों को प्रभावित करता है। अगर आपने HSG का टेस्ट करवा है और अब आपको यह चिंता है कि दोनों ट्यूब ब्लॉक कैसे हो गई है। और अपके मन में सवाल आ रहे है कि हमने तो कोई अबॉर्शन नहीं करवाया, मिसकैरेज नहीं हुआ, टीबी संक्रमण नहीं हुआ फिर भी ट्यूबल ब्लॉकेज की समस्या हो गई है। 

आपको सोचना चाहिए इससे पहले कभी आपको गंभीर संक्रमण हुआ हो। आपको कभी गर्भाशय के आसपास संक्रमण हुआ हो। पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज (PID) एक ऐसी बीमारी है, जिसमें श्रोणि में संक्रमण या सूजन भी कहा जाता है। अगर ऐसा हुआ हो तो यह ट्यूबल ब्लॉकेज का मुख्य कारण होता है। आज इस लेख के माध्यम से हम आपको बच्चेदानी में इन्फेक्शन का इलाज के बारे में विस्तार से बताएंगे। 

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Tubal Blockage और PID एक दूसरे से जुड़ा है?-

सबसे पहले जानेगे की गर्भाशय नली का बंद (Tube blockage) होना कैसे प्रेगनेंसी में बाधा डालता है। गर्भाशय नलिका वह स्थान है जहां पर पुरूष का शुक्राणु स्त्री के बीज से मिलकर निषेचन की प्रक्रिया होती है। और वहीं भ्रूण गर्भाशय में विकसित होने जाता है। 

इन गर्भाशय नलिकाओं के बंद होने पर एक महिला के प्राकृतिक रूप से गर्भधारण की संभावना न के बराबर होती है। महिला किसी भी सूरत में कंसीव नहीं कर सकती है। 

PID ​​को कभी-कभी “साइलेंट महामारी” के रूप में जाना जाता है क्योंकि यह यौन रूप से सक्रिय महिलाओं में प्रचलित है, फिर भी आवश्यक रूप से कोई लक्षण पैदा नहीं कर सकता है। 20 से 29 साल की महिलाओं को PID ​​का सबसे ज्यादा खतरा होता है। (Read More: Panchakarma Therapy (Uttar Basti) In Tubal Blockage)

बच्चेदानी में इन्फेक्शन के कारण- Pelvic Inflammatory Disease Ke Karan

Tubal Blockage और PID की समस्या एक बहुत बड़ा कारण होता है। पीआईडी से एक महिला के एंडोमेट्रियम लाइनिग, फैलोपियन ट्यूब और पेरिटोनियम (पेट के निचले हिस्से के पास जो झिल्ली होती है जो एक अंग को दूसरे अंग से अलग होती है) पर असर पड़ता है। पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज होने के कारण में शामिल हैं: 

  • किसी भी तरह के वेजाइनल इंफेक्शन होना
  • यौन संचारित संक्रमण होना
  • कई बार बच्चेजानी के मुंह पर विशेष रूप से मिसकैरेज के बाद म्यूकस हो जाते है। 
  • इसके बजाए कॉपर-टी का लंबे समय से इस्तेमाल करने से पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज की समस्या हो सकती है। 

अगर आपको बदबूदार और दही जैसा सफेद पानी आता है और लंबे समय से आप इससे पीड़ित है तो यह फैलोपियन ट्यूबल ब्लॉकेज का कारण बन सकता है। महिलाओं में क्लैमाइडिया यौन संचारित पीआईडी ​​​​मामलों का 50% कारण बनता है, जबकि गोनोरिया ऐसे 25% मामलों का कारण बनता है। अगर आप भी इस समस्या से पीड़ित है तो बच्चेदानी में इंफेक्शन का इलाज समय पर जरूर करवाएं। 

बच्चेदानी में इन्फेक्शन का निदान- Pelvic Inflammatory Disease in Hindi

बच्चेदानी में इंफेक्शन का इलाज से पहले पता करना पड़ेगा की एक महिला को पीआईडी है। इन निम्नलिखित में पीआईडी के निदान इस प्रकार से शामिल हैं: 

  • सबसे पहले पीआईडी या किसी भी तरह के इंफेक्शन से परेशान महिला को डॉक्टर के पास जाना चाहिए जो वेजाइनल एग्जामिनेशन (Per Vaginal Examination) से इंफेक्शन का पता लगाती है। 
  • अगर वेजाइनल इंफेक्शन होगा तो डॉक्टर आपको देखकर बता देंते है। इसके अलावा अल्ट्रासाउंड के माध्यम से जान सकते है कि पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज की समस्या से ग्रसित है। 
  • संक्रमण के लिए आपके गर्भाशय ग्रीवा की जाँच करने के समय ग्रीवा को छूने पर दर्द होना।
  • पीआईडी की समस्या के लक्षणों के लिए आपके मूत्र की जांच के लिए एक मूत्र परीक्षण से भी पता चलता है।
  • इसके अलावा आपकी फर्टिलिटी डॉक्टर आपको रक्त परीक्षण के माध्यम से किसी इंफेक्शन के होने का पता लगाती है। 

इस समस्या को नजर अंदाज करने से ​​फैलोपियन ट्यूब में निशान ऊतक और फोड़ा संग्रह का कारण बनता है जो प्रजनन अंगों को नुकसान पहुंचाता है। आपको सही समय पर पीआईडी का इलाज और बंद ट्यूब खोलने के उपाय के बारे में एक अच्छे फर्टिलिटी डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। 

पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज का इलाज- Pelvic Inflammatory Disease Treatment in Hindi

पीआईडी की समस्या का देर से निदान अक्सर रोगी की प्रजनन प्रणाली को नुकसान पहुंचा सकता है। लेकिन अब घबराने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं है क्योंकि पीआईडी का आयुर्वेदिक इलाज संभव है। 

आयुर्वेद में बच्चेदानी में इन्फेक्शन का इलाज बिना सर्जरी के पूरी तरह संभव है। जब भी कोई रोगी आशा आयुर्वेदा में आता है तो उसके मूल कारणों को जानकर समस्या का समाधान किया जाता है। ऐसे ही ट्यूबल ब्लॉकेज और पीआईडी की समस्या में आयुर्वेद पद्धति से सबसे पहले पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज का इलाज किया जाता है। कोई भी रोगी आशा आयुर्वेदा में ट्यूबल ब्लॉकेज की समस्या लेकर आता है तो यहां मूल कारण को समझकर और ब्लॉकेज का कारण जानकर आपको मेडिसिन दिया जाता है। 

मेडिसिन साथ-साथ आपकी समस्या के अनुसार कुछ समय बाद पंचकर्म थेरेपी भी की जाती है। इससे महिला को इलाज में अच्छे रिजल्ट देखने को मिलते है। और ऐसे ट्यूबल ब्लॉकेज और पीआईडी की समस्या को जड़ से खत्म किया जाता है। 

निसंतानता की समस्या होने के बाद लोगों के दिमाग में सबसे पहले आईवीएफ आता है। लेकिन ivf के ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि निषेचन (Fertilization) होने के बाद भी महिला गर्भधारण नहीं कर पाती है। और लाखों खर्च होने के बाद भी कोई परिणाम नहीं मिलता है। 

आयुर्वेदिक इलाज में उत्तर बस्ती विधि के बदौलत लाखों महिलाओं की कोख भर रही है। इस पद्धति में आयुर्वेदिक औषधियों और तेल को कैथिटर के जरिए महिला के गर्भाशय में डाला जाता है। इस विधि से ट्यूब ब्लॉकेज, बार-बार गर्भपात, पीसीओडी, PCOS, लो एएमएच (low AMH), गर्भाशय फाइब्रॉएड, एंडोमेट्रियम, अनियमित पीरियड्स, हार्मोनल असंतुलन, ivf Failure, और हाइड्रोसालपिनक्स (ट्यूब में पानी भरना) और आवर्तक मूत्र पथ के संक्रमण (recurrent urinary tract infections) जैसे जननांग विकारों (genital disorders) के इलाज के लिए उपयोगी है।

इस लेख की जानकारी हमें डॉक्टर चंचल शर्मा द्वारा दी गई है। इस विषय से जुड़ी या अन्य पीसीओएस, ट्यूब ब्लॉकेज, हाइड्रोसालपिनक्स उपचार पर ज्यादा जानकारी चाहते हैं। हमारे डॉक्टर चंचल की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाए या हमसे +91 9811773770 संपर्क करें।

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