freedom from infertility

आज हम लोग इक्कीसवीं सदी में जी रहें है फिर भी कुछ ऐसे मुद्दे है जिन पर खुलकर बात नही कर सकते है । इंसान बहुत आगे निकल चुका है फिर भी हर घर परिवार में कुछ ऐसे मामले होते है जो इसको कांटो की तरह चुभन पैदा करते है। आज भी जब किसी महिला का बांझ जैसे कटु शब्दों का प्रयोग करता है तो यह किसी अभिश्राप से कम नही लगता है। ऐसे में आशा आयुर्वेदा नेे निःसंतानता को जड़ से मिठाने  संकल्प लिया है भारत की हर उस विवाहित नारी के लिए जो निःसंतानता जैसी समस्या का सामना कर रही है। 

भारत निःसंतानता | freedom from infertility जैसे स्लोगन के साथ आशा आयुर्वेदा एवं उसकी पूरी ठीक इस स्लोगन को साकार करने के लिए कड़ी से कड़ी मेहनत करती है और नेचुरल तरीके से महिलाओं को माँ बनने का अवसर प्रदान करती है। शादी के बाद माँ बनना स्त्री का सबसे बड़ा स्वप्न होता है और हम इसे पूर्ण करने का भरपूर प्रयास करते है और हमें इस कार्य को करने में बहुत खुशी मिलती है क्यों जब हम हजारों महिलाओं के उदास चेहरे हर खुशी देखते है तो हमारी खुशी का ठिकाना नही रह जाता है। 

हमारे देश को आजाद हुए 74 साल बीत चुके है फिर भी बांझपन (निःसंतानता) जैसे मुद्दो पर बात करना लोग उचित नही समझते है। महिलाओं को ही इस बात को दोषी ठहराते है, परंतु ऐसा बिल्कुल भी नही है महिला एवं पुरुष दोनों इसके भागीदार है। सामान्यतया गर्भधारण नहीं होने पर बांझपन का दोषी महिला को माना जाता है लेकिन आंकड़ों पर नजर डालें तो पुरूषों की निःसंतानता का प्रतिशत 30-40 प्रतिशत तक पहुंच गया है।

और पढ़े – बांझपन का आयुर्वेदिक इलाज – Female Infertility Treatment in Ayurveda in Hindi

15 अगस्त पर जानें कितनी है भारत में निःसंतान दर ?

भारतीय आंकड़ो पर यदि नजर डाली जाये तो वर्तमान समय में निःसंतानता की दर 12 प्रतिशत के करीब पहुंच चुकी है और यह दर यहीं पर स्थिर नही है बल्कि तेजी के साथ वृद्धि भी कर रही है। प्रत्येक 12 जोडों में से 2 जोडे निःसंतान है। वर्तमान समय में बढ़ रही बीमारियों की लिस्ट में इनफर्टिलिटी प्रमुख पायदन में है। यह एक बहुत ही गंभीर समस्या है यदि समय रहते इस समस्या की ओर ध्यान न दिया गया तो आने वाले भविष्य में एक खतरे की घंटी साबित हो सकती है। 

आज के समय में संतान प्राप्ति का प्रयास कर रहे करीब 28 मिलियन दंपति निःसंतानता की चपेट में आ चुके है। 40 -50 प्रतिशत महिलाएं निःसंतानता का कारण होती है जबकि 30-40 प्रतिशत पुरुषों का भी योगदान होता है। इन सबमें सबसे अच्छी बात यह है कि आशा आयुर्वेदा में बिना किसी सर्जरी (चीरफाड, बिना आइवीएफ) के नेचुरल तरीके से इलाक सफलता पूर्वक इलाज किया जाता है। 

कौन-कौन सी महिलाएं आयुर्वेदिक इलाज ले सकती है ?

निःसंतानता से पीडित हर महिला एवं पुरुष आयुर्वेदिक उपचार को अपना सकते है । आयुर्वेदिक इलाज पूरी तरह से दुष्प्रभाव रहित (साइड एफैक्ट फ्री) होता है। इसकी सफलता दर 90 प्रतिशत के ऊपर होती है। यह सभी निःसंतान दंपतियों के लिए सुरक्षित होता है, जो निःसंतानता के कारण माता-पिता बनने में असमर्थ है। 

क्या जिन महिलाओं की ट्यूब बंद है वह आयुर्वेदिक उपचार से खुली सकती है ?

जी हां, फैलोपियन ट्यूब को खोलने के लिए आयुर्वेदिक उपचार को सबसे बेहतर उपचारों में से एक माना जाता है। क्योंकि आयुर्वेदा पंचकर्मा की उत्तर बस्ती ट्यूब खोलने के सर्वोत्म उपचारों में से सबसे बेहतर साबित हुई है। आयुर्वेदिक उपचार से एक बार बंद ट्यूब को खोलने के बाद दोबारा बंद होने के चांस नही होते है। जबकि अन्य चिकित्सा पद्धति में ऐसा संबंव नही है। 

कौन-कौन से महिला एवं पुरुष निःसंतानता की चपेट में आ जाते है?

प्रजनन एवं निःसंतानता विशेषज्ञ डॉ चंचल शर्मा के अनुसार प्रेगनेंसी के लिए सबसे जरुरी होता है  महिला की फैलोपियन ट्यूब का स्वस्थ होना। क्योंकि यही ट्यूब भूण की प्रारंभिक प्रकिया को पूर्ण करती है। यदि ट्यूब में किसी प्रकार की समस्या हो तो गर्भधारण करने में बहुत सारे परेशानियां देखने को मिलती है। 

ट्यूब की समस्या को दूर करने के लिए पंचकर्मा की उत्तर बस्ती नलों में जमा टिश्यू या अन्य अपशिष्टों को औषधियों के माध्यम से दूर कर उन्हें खोलने का सफल कार्य करती है। और फिर ट्यूब भ्रूण की प्रक्रिया के लिए तैयार हो जाती है। और पढ़े – पुरुष निःसंतानता के कारण, लक्षण और उपचार

कौन-कौन से कारण होते है जब गर्भधारण में परेशानी होती है ?

यदि कोई महिला गर्भधारण की कोशिश करती है और गर्भधारण में उसे परेशानी आती है तो जरुर कोई न कोई कारण तो होता ही है जिसकी वहज से वहा गर्भधारण नही कर पाती है । आइये जानते है  – 

  1. फैलोपियन टय्ब का बंद होना 
  2. ओव्युलेट न करना 
  3. अंडो में क्वालिटी (लो एएमएच ) न होना । 
  4. अनियमित माहवारी 
  5. पीसीओडी,पीसीओएस
  6. हाइड्रोसालपिक्स 
  7. एड्रोमेट्रोयोसिस 
  8. स्पर्म खराब होना 
  9. स्पर्म का आकार ठीक नही होना। 
  10. स्पर्म का गतिहीन होना। इत्यादि 

इन सभी कारणों के चलते महिला को गर्भधारण में तकलीफ उठानी पड़ सकती है । 

यदि आप पापा बनने की कोशिश कर रहे है और इस कोशिश में नाकाम हो रहे है तो आशा आयुर्वेदा आपकी इस कोशिश को पूरा करने में सदैव आपके साथ है। आप कभी भी आशा आयुर्वेदा में संपर्क करके पिता बनने की राहें आसान कर सकते है। 

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