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कैसे पहचाने पीसीओडी के लक्षण – SYMPTOMS OF PCOD/PCOS

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) एक एंडोक्राइन (हार्मोनल) विकार है। ज्यादातर, लक्षण पहले किशोरावस्था में, मासिक धर्म की शुरुआत के आसपास दिखाई देते हैं। हालांकि, कुछ महिलाओं में 20 के दशक के मध्य तक लक्षण विकसित नहीं होते हैं।

पीसीओएस का प्रभाव प्रजनन आयु की 5 से 10 प्रतिशत महिलाओं के बीच प्रभावित होने का अनुमान है, इस प्रकार यह इस आयु वर्ग की महिलाओं में सबसे आम हार्मोनल विकार है।

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) या पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज (PCOD) क्या है?

पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम या रोग (पीसीओएस/पीसीओडी) एक हार्मोनल विकार है जो महिलाओं को उनकी प्रजनन आयु में प्रभावित करता है।PCOS एक सामान्य स्वास्थ्य स्थिति है जो किशोर और युवा महिलाओं को प्रभावित करती है, यह 10 में से 1 महिला में उनके बच्चे पैदा करने की उम्र में देखी जाती है। महिलाओं की प्रजनन प्रणाली मुख्य रूप से पांच प्रजनन हार्मोन अर्थात् एस्ट्रोजन, गोनाडोट्रोपिन-रिलीज़ करने वाले हार्मोन, कूप उत्तेजक हार्मोन, प्रोजेस्टेरोन और ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन के जटिल परस्पर क्रिया द्वारा नियंत्रित होती है। इन हार्मोनों के असंतुलन से प्रजनन आयु की महिलाओं में पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) या पॉलीसिस्टिक डिम्बग्रंथि रोग (पीसीओडी) नामक एक हार्मोनल विकार होता है।

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पॉलीसिस्टिक डिम्बग्रंथि सिंड्रोम प्रसव उम्र की महिलाओं में प्रजनन हार्मोन के टूटने से चिह्नित होता है। महिला हार्मोनल नियंत्रण में कहर के साथ, अंडाशय असामान्य मात्रा में एण्ड्रोजन (पुरुष हार्मोन) छोड़ते हैं। इस हार्मोनल ब्रेकडाउन के परिणामस्वरूप अनियमित या लंबे समय तक मासिक धर्म, शरीर पर अत्यधिक बाल, मुंहासे और बालों का झड़ना होता है। पॉलीसिस्टिक अंडाशय रोम विकसित करने और नियमित रूप से अंडे छोड़ने में विफल हो सकते हैं, जिससे गर्भधारण करने में कठिनाई होती है।

पॉलसिस्टिक ओवरियन सिंड्रोम महिलाओं में होने वाली एक ऐसी समस्या है जो 13 वर्ष से लेकर 19 (टीनेज) अर्थात युवा वर्ग की युवतियों में अधिकांश होती है। हालाकि यह समस्या बड़ी उम्र की महिलाओं में भी देखने को मिलती है। जब यह युवतिया 13 से 19 वर्ष की आयु की बीच होती है ऐसे में पीसीओडी के लक्षणों का पता लगाना काफी मुश्किल काम होता है। क्योंकि PCOD के लक्षण बाहरी तौर पर नही दिखाई देते है कुछ महिलाओं के स्वास्थ्य में ऐसे संकेत मिलते है जिसके आधार पर ही उनका पता लगाया जा सकता है। 

युवतियां जब 13 से 19 वर्ष के मध्य आयु की होती है तो उनकी रिप्रोड्क्टिव लाइफ (प्रजनन जीवन) की शुरुआत होती है। यदि इस स्थिति में कोई कोई लड़की पीसीओडी से ग्रसित हो जाये तो उसका तुरंत पता लगाना बहुत ही आवश्यक हो जाता है। क्योंकि जितनी जल्दी इसकी जानकारी होगी उतनी ही जल्दी उसका उपचार शुरु हो जायेगा। 

यदि यह बीमारियां महिलाओं में लम्बी अवधि तक रहती है तो बहुत सारे जोखिम ऊठाने पड़ सकते है। पीसीओडी की बीमारी के लक्षण को शीघ्र पहनचान कर उपचार करना सबसे अच्छा कदम माना जाता है। क्योंकि समय पर सही उपचार और अच्छी चिकित्सा ही महिला से स्वास्थ्य की रक्षा कर सकती है। 

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कम उम्र की युवतियों (टीनेजर्स 13 से 19 वर्ष) में पीसीओडी को कैसे पहचाना जाए ?

महिलाओं के ही जैसे टीनेजर्स में ही पीसीओडी के लक्षणों का पता लगाया जा सकता है। कम उम की युवतियों में पीसीओडी के लक्षणों की पहचान ओव्यूलेटरी मैकेनिज्म एवं एंड्रोजन होर्मोन के आंकड़ो के आधार पर पीसीओडी की पहचान की जाती है। ओव्यूलेशन के आंकड़े दर्शाते है कि युवती मासिक धर्म से पहले और बाद में किस प्रकार के लक्षण महसूस करती है। इसी के आधार पर पीसीओडी के लक्षणों की पहचान की जा सकती है। नीचे कुछ लक्षण दीये गये है जैसे कि 

  1. मासिक धर्म के प्रथम वर्ष में 90 दिनों  या इससे अधिक समय तक पीरियड्स न आना ।
  2. मासिक धर्म 21 दिनों से कम और 45 दिनों से अधिक होना। 
  3. स्तनों के आकार में वृद्धि होेने के बाद यदि फिर 2-3 वर्ष तक पीरियड्स ने आयें तो पीसीओडी की समस्या है। 
  4. महिलाओं से शरीर में अधिक एंड्रोजन निर्मित होने के कारण बहुत सारे परिवर्तनों को महसूस किया जाता है। जैसे मुंहासे । 
  5. चेहरे पर अधिक बाल होना । 
  6. ब्लड में टेस्टोस्टेरोन के स्तर में वृद्धि होना। 

यदि किसी महिला या फिर युवती को इन बताएं गये लक्षणों में से किसी प्रकार के लक्षण महसूस हो रहे है तो किसी अच्छे स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श लेकर पीसीओडी का आयुर्वेदिक उपचार जरुर लें। क्योंकि आयुर्वेदिक उपचार पीसीओडी की समस्या को जड़ से खत्म करने में पूरी तरह से सक्षम है। यदि इस प्रकार के लक्षण नही भी है और आपको लगता है मासिक धर्म से संबंधित कोई अन्य लक्षण समझ में आ रहे है तो भी इसका तुरंत उपचार लेना चाहिए। क्योंकि कोई भी बीमारी हो यदि आप उसका उपचार शुरु में ही ले लेती है तो वह शीघ्र समाप्त हो जाता है। 

“यदि आप भी पीसीओडी या फिर पीरियड्स संबंधित किसी अन्य समस्या से परेशान है तो आशा आयुर्वेदा में संपर्क करके बेहतर इलाज पा सकती है। “

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