एंडोमेट्रियोसिस , एंड्रियोमेट्रियोसिस

अब माँ बनने में रुकावट नही बनेगा एंडोमेट्रियोसिस – Endometriosis Disease in Hindi

आजकल की बिगड़ती जीवनशैली एवं चिंता से भारी जिन्दगी के कारण न जानें महिलाओं में कितनी बीमारियों घर बनती जाती है जिसका सीधा प्रभाव उनकी प्रजनन क्षमता पर पड़ता है और निःसंतानता की संभावना बढ़ने लगती है। जब कोई भी महिला एंडोमेट्रियोसिस की बीमारी (Endometriosis Disease) की गिरिप्त में आ जाती है तो उसके पेट में लगातार दर्द बना  रहता  है एवं कंसीव करने में समस्या आती है।

एंडोमेट्रियोसिस की समस्या के कारण  गर्भाशय के नजदीक छोटे-छोटे टिश्यूज निर्मित होने लगते है जिसके कारण माहवारी के समय पर गर्भाशय में रक्त के थक्ते जम जाते है और यही रक्त के थक्ते आंत तथा ओवरी में चिपक जाते है जिससे ट्यूब तथा गर्भाशय दोनो को खतरा बढ़ जाता है और इसी वजह से निःसंतानता (इनफर्टिलिटी) होने की संभावना अधिक हो जाती है। यदि समय रहते इस समस्या का उपचार नही हुआ तो पेल्विक में सूजन, पेट दर्द की परेशानी तथा गर्भाशय से संबंधित कई समस्याएं हो जाती है।

एंडोमेट्रियोसिस महिलाओं में पाया जाने वाला एक ऐसा प्रजनन विकार है जिससे महिला बांझपन बढ़ने की सबसे ज्यादा संभावना होती है। वर्तमान समय में एंड्रियोमेट्रियोसिस की समस्या इतनी तेजी के साथ बढ़ रही जोकि एक चिंता का विषय है। हर 10 में से एक महिला एंड्रियोमेट्रियोसिस की समस्या का शिकार हो रही है।

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आयुर्वेद नें अब महिलाओं में होने वाली एंड्रियोमेट्रियोसिस की इस समस्या  का सफल समाधान ढूंढ निकाला है जोकि पूर्ण लाभकारी और प्रभावी उपचार है तथा इसका कोई भी दुष्प्रभाव नही है। जिन महिलाओं को एंड्रियोमेट्रियोसिस की समस्या होती है तो उनकी ओवरीज और फैलोपियन ट्यूब बूरी तरीके से प्रभावित हो जाती है। इस वजह से ठीक से स्पर्म और एग का मूवमेंट ठीक प्रकार से नही हो पाता है।

आशा आयुर्वेदा की निःसंतानता विशेषज्ञ एंडोमेट्रियोसिस के संबंध में बताती है कि इस समस्या का आयुर्वेद एवं थेरेपी के द्वारा उपचार पूरी तरीके से संभव है। यदि प्रारंभिक अवस्था में हो आयुर्वेदिक औषधि से द्वारा ही इसको ठीक किया जाता है परंतु यदि एंड्रियोमेट्रियोसिस की समस्या जटिल हो जाती है तो पंचकर्म पद्धति एवं आयुर्वेदिक थेरेपी के द्वारा हमेशा के लिए इससे छुटकारा मिल जाता है।

एंडोमेट्रियोसिस होने के मुख्य कारण – Causes of Endometriosis

एंड्रियोमेट्रियोसिस की समस्या से कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार है –

1. महिलाओं के प्रजनन तंत्र में एम्ब्रोनिक कोशिकाएं होती है जिसकी वृद्धि के कारण एंड्रियोमेट्रियोसिस होने का खतरा बढ़ जाता है।

2. यदि महिला के प्रजनन अंगों की सर्जरी हुई है तो भी एंड्रियोमेट्रियोसिस होने का डर बना रहता है।3. यदि एंडोमेट्रियल सेल प्रजनन तंत्र से बाहर की ओर फैलती है तो भी एंड्रियोमेट्रियोसिस होने की संभावना होती है।

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एंडोमेट्रियोसिस होने के प्रमुख लक्षण – Symptoms of Endometriosis

एंड्रियोमेट्रियोसिस के अगर लक्षणों की बात की जायें तो ऐसा कोई भी बाहरी लक्षण नही होता है जिसके आधार पर हम इस बात की पुष्टि कर सके है महिला को एंड्रियोमेट्रियोसिस की समस्या है । परंतु कुछ ऐसे संकेत है जिसके परिणाम स्वरुप एंड्रियोमेट्रियोसिस का अनुमान लगाया जा सकता है ।

1. अक्सर पेट के निचले भाग में लगातार दर्द बना रहता है।

2. माहवारी के दौरान असहनीय दर्द ।

3. मांसपेशियों में तनाव महसूस होना ।

4. शरीर के निचले भाग में जकड़न की समस्या होना ।

5. मल तथा मूत्र को त्यागते समय में कठनाई होना।

6. संबंध स्थापित करके में अधिक पीड़ा होना।

7. माहवारी के समय अत्यधिक ब्लीडिंग होना।

8. शरीर में अक्सर आलस बना रहना तथा चिंता, थकान की समस्या होना।

9. पेट में गैस, कब्ज की समस्या होना।

10.चक्कर आना तथा मतली की शिकायत होना इत्यादि।

आयुर्वेद में एंडोमेट्रियोसिस का स्थाई उपचार उपलब्ध है । आयुर्वेद के प्रभावी उपचार से एंड्रियोमेट्रियोसिस के विकार को दूर कर दिया जाता है तथा जिससे नेचुरल तरीके से इसको सॉल्व करने में मदद  मिल जाती है। कुछ आयुर्वेदिक उपचार है जिसके द्वारा एंड्रियोमेट्रियोसिस की ठीक करने में सहायता मिलती है।

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अलसी के बीज से एंडोमेट्रियोसिस का इलाज –  अलसी के बीजों में ओमेगा -3 फैटी एसिड पाया जाता है जो एंड्रियोमेट्रियोसिस की सूजन का कम करने में एक अच्छी भूमिका निभाता है और साथ ही साथ दर्द को कम करने का काम भी करता है।

शहद के सेवन से एंडोमेट्रियोसिस का इलाज – शहद में नेचुरल रूप से मौजूद शर्करा क्षतिग्रस्त ऊतकों से पानी कम करने में मदद करता है जिससे ऊतको की सूजन कम हो जाती है। शहद उतकों के घावों को भर कर उन्हें पुनः रिकवर करने में मदद करता है।

हल्दी से एंडोमेट्रियोसिस का इलाज – हल्दी एक प्राचीन मसाला है जो लंबे समय से हमारे भोजन में उपयोग और शामिल किया गया है। इसके सेवन से घावों को कम करने में मदद मिलती है तथा रक्त में होने वाले विकार को ठीक करने में सहायता करता है। एंडोमेट्रियोसिस से पीडित महिलाओं के लिए, प्रजनन दवाओं के साथ हल्दी का सेवन जरुर करना चाहिए जिससे जल्द लाभ मिलता है।

कैस्टर ऑयल के द्वारा एंडोमेट्रियोसिस का इलाज – कैस्टर ऑयल का इस्तेमाल एंडोमेट्रियोसिस के इलाज के लिए सैकड़ों सालों से किया जा रहा है। इसका उपयोग बहुत शुरुआत में किया जा सकता है, जब ऐंठन को पहली बार महसूस किया जाता है, जिससे शरीर को अतिरिक्त ऊतकों से छुटकारा पाने में मदद मिलती है। यह महत्वपूर्ण है कि इस उपचार का उपयोग केवल मासिक धर्म प्रवाह से पहले किया जाता है, और इस दौरान नहीं।

अदरक के सेवन से एंडोमेट्रियोसिस का इलाज – 2014 के एंड्रियोमेट्रियोसिस अध्ययन और 2016 की समीक्षा में दोनों ने पाया कि अदरक मासिक धर्म से संबंधित दर्द को कम कर सकता है। यह सुझाव देता है कि अदरक एंडोमेट्रियोसिस से जुड़े दर्द को कम करता है।

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